24 अप्रैल 2025 तक देशभर में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर 198.6 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है, जो गत वर्ष इसी अवधि के 135.8 लाख टन के मुकाबले 46% अधिक है। इस तेज खरीद का मुख्य कारण रिकॉर्ड उत्पादन और कुछ राज्यों जैसे मध्यप्रदेश व राजस्थान में किसानों को MSP के साथ बोनस का दिया जाना है। इस वर्ष सरकार ने गेहूं खरीद का लक्ष्य 312.7 लाख टन रखा है।
पिछले कुछ वर्षों में खरीद के आंकड़े इस प्रकार रहे:
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2022-23 में 440 लाख टन लक्ष्य के मुकाबले 187.9 लाख टन
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2023-24 में 341.5 लाख टन लक्ष्य के मुकाबले 262 लाख टन
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2024-25 में 373 लाख टन लक्ष्य के मुकाबले 266.1 लाख टन
2021-22 में रिकॉर्ड 433.4 लाख टन गेहूं खरीदा गया था। जैसे-जैसे खरीद कम हुई, वैसे-वैसे OMSS (Open Market Sale Scheme) के तहत भी बिक्री घटती रही। बीते सीजन में करीब 30 लाख टन गेहूं बेचा गया, जबकि 2023-24 में यह आंकड़ा 100 लाख टन से अधिक था।
1 अप्रैल 2025 को केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक 117.9 लाख टन तक पहुँच गया था, जो गत वर्ष के 75 लाख टन से काफी ज्यादा है। हालांकि, सरकार फिलहाल निर्यात नीतियों या सरकारी वितरण योजनाओं में आवंटन बढ़ाने जैसे फैसलों पर विचार नहीं कर रही है। उम्मीद है कि सरकारी खरीद बंद होने के 30-45 दिन बाद OMSS के तहत बिक्री शुरू हो सकती है।
मंडियों में गेहूं के भाव स्थिर
बीते सप्ताह गेहूं में मांग सामान्य बनी रही और भाव में मात्र 10 रुपये प्रति क्विंटल की मामूली मजबूती देखी गई। इस बार पिछले वर्ष की तुलना में सरकार के पास 60 लाख टन अधिक स्टॉक उपलब्ध है।
मध्यप्रदेश सरकार का खरीद लक्ष्य मात्र 4 लाख टन पीछे है और अनुमान है कि इस बार वहां 12 लाख टन अधिक गेहूं आएगा। वहीं, उत्तर प्रदेश में सरकारी खरीद 15 लाख टन के भीतर सिमट सकती है। कुल मिलाकर इस साल गेहूं खरीद 300 लाख टन के भीतर रहने की उम्मीद है।
दिल्ली लाइन में बढ़ी आवक, कीमतों पर दबाव
पिछले तीन दिनों से दिल्ली लाइन में गेहूं की आवक बढ़ने से भावों में तेजी नहीं आ पाई है।
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यदि 10-20 मई तक दिल्ली लाइन में आवक पूरी तरह सुधरती है तो भाव स्थिर रहेंगे, अन्यथा वर्ष भर हल्का गैप बना रह सकता है।
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गोरखपुर मंडल में आवक पिछले साल से 5 गुना अधिक है, लेकिन सफेद गेहूं की मात्रा ज्यादा है।
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दिल्ली लाइन की आवक इस बार 16% कम रही है।
मिलर्स और स्टॉकिस्ट का रुख
देशभर में मिलों और बड़ी कंपनियों ने अच्छी मात्रा में स्टॉक बना लिया है।
उत्तर प्रदेश में स्टॉकिस्टों के पास मिलर्स की तुलना में अधिक गेहूं उपलब्ध है। आटा, मैदा और चोकर की खपत भी अपेक्षाकृत कमजोर है।
साउथ लाइन, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में पिछले सप्ताह मिलों के भाव 20 से 40 रुपये तक कमजोर रहे हैं।