सरकार ने दालों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद को लेकर एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है, जिससे तुअर, मसूर और उड़द जैसी प्रमुख दालों के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। इस पहल का उद्देश्य देश की आयात निर्भरता को कम करना और किसानों को सीधा लाभ पहुंचाना है।
अब तक दो सरकारी एजेंसियां—नेफेड (NAFED) और एनसीसीएफ (NCCF)—ने क्रमशः 38 लाख और 26 लाख किसानों को अपने पोर्टलों (ई-समृद्धि और ई-संयुक्ति) के माध्यम से रजिस्टर किया है। यह रजिस्ट्रेशन आधार सत्यापन के जरिए किया जा रहा है और ऑन-स्पॉट रजिस्ट्रेशन की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है, ताकि अधिकतम किसानों को MSP पर बिक्री का लाभ मिल सके।
कृषि मंत्रालय की मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत सरकार ने अब तुअर, उड़द और मसूर की 100% किस्मों की खरीद का भरोसा दिया है। पहले इन पर 25% खरीद सीमा थी, जिसे अब 2023-24 और 2024-25 के लिए हटा दिया गया है।
इस पहल का फोकस विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड जैसे गैर-परंपरागत उत्पादक राज्यों पर है, जहां किसानों को अच्छी गुणवत्ता के बीज, तकनीकी सहायता और खरीदी की गारंटी प्रदान की जा रही है। वर्तमान सीजन (2024-25) में अब तक महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और आंध्र प्रदेश के किसानों से 0.52 मिलियन टन तुअर की खरीद की जा चुकी है, जो कि 2019-20 के बाद की सबसे बड़ी मात्रा है।
सरकार ने खरीफ 2025-26 से MSP पर खरीद के लिए बायोमेट्रिक फेस ऑथेंटिकेशन और पीओएस मशीनों का उपयोग अनिवार्य कर दिया है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि केवल वास्तविक किसान ही सरकारी योजनाओं का लाभ लें। साथ ही, कृषि सांख्यिकी के एकीकृत पोर्टल (UPAG) के साथ सभी रजिस्ट्रेशन पोर्टल्स को जोड़ा जाएगा, ताकि डेटा को रीयल टाइम में अपलोड किया जा सके।
यह नीति परिवर्तन दालों और मक्का के उत्पादन को नई दिशा देगा और कृषि व्यापार में पारदर्शिता और भरोसे को मजबूत करेगा।