वर्तमान में चना बाज़ार में मजबूती देखने को मिल रही है। नाफेड और अन्य एजेंसियों द्वारा चने की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद की प्रक्रिया चल रही है। इस बार चना की आवक का पीक सीज़न खत्म हो चुका है और अब आवक धीरे-धीरे कम होती जा रही है, जिससे भावों को लंबी अवधि में समर्थन मिल सकता है।
खास बात यह है कि:
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सरकारी बफर स्टॉक में चने की कमी है।
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MP और राजस्थान में आवक सीमित है, जिससे थोक मंडियों में स्टॉक धीरे-धीरे कम हो रहा है।
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चना स्टॉकिस्टों की खरीदारी और सीमित आपूर्ति ने भावों को स्थिरता दी है।
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चना MSP से ऊंचे भाव पर बिक रहा है, जिससे सरकारी खरीद अपेक्षाकृत कम हो रही है।
काबुली चना की बात करें तो इसमें भी स्थिरता का माहौल है:
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मंडियों में 60/62 काबुली चना ₹8800-₹8900 प्रति क्विंटल के भाव पर कारोबार कर रहा है।
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42/44 साइज काबुली चना ₹10500 से ऊपर बोला जा रहा है, जबकि 40/42 साइज में ₹10700 तक के रेट की चर्चा है।
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काबुली चने की मांग फिलहाल घरेलू मंडियों के मुकाबले एक्सपोर्ट ग्रेड के लिए ज़्यादा सक्रिय है।
इस स्थिति में व्यापारियों और किसानों को सलाह दी जाती है कि वे चना व काबुली चना के सौदों में विवेकपूर्ण रणनीति अपनाएं। चना के सीमित उत्पादन, कमजोर आयात और घरेलू मांग को देखते हुए निकट भविष्य में इसमें धीरे-धीरे मजबूती की संभावना बनी हुई है।