छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने राज्य में पहली बार चना की खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कर एक नई शुरुआत की है। इससे पहले राज्य सरकार द्वारा धान की खरीदी पर विशेष ध्यान दिया जाता रहा है, लेकिन इस बार सरकार ने दलहन फसलों को प्रोत्साहन देने और फसल चक्र परिवर्तन को जमीन पर उतारने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। 1 मार्च से 31 मई 2025 तक चली इस चना खरीदी मुहिम के तहत धमतरी जिले में कुल 2197 किसानों से 20,646 क्विंटल चना की खरीदी की गई। सरकार ने इस खरीदी के लिए समर्थन मूल्य ₹5650 प्रति क्विंटल निर्धारित किया था।
चना खरीदी का यह अभियान धमतरी जिले की आठ सहकारी समितियों – लोहरसी, छाती, नगरी, मगरलोड, कुरुद, कातलबोड़, तरसीवा और रामपुर – के माध्यम से सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इन समितियों के माध्यम से किसानों से चना की खरीदी कर कुल ₹11.66 करोड़ की राशि का भुगतान किया गया, जिसे सरकार द्वारा सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजा जा रहा है। धमतरी जिला सहकारी बैंक के नोडल अधिकारी बलराम पुरी गोस्वामी ने जानकारी दी कि खरीदी प्रक्रिया पारदर्शिता और समयबद्धता के साथ पूरी की गई है।
इस पहल के पीछे प्रशासन की एक बड़ी रणनीति थी – फसल चक्र परिवर्तन को बढ़ावा देना। धमतरी सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में गिरते भूजल स्तर और भूमि की उर्वरता को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने ग्रीष्मकालीन धान की जगह दलहन, तिलहन और नकदी फसलों की खेती को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया। इसके लिए जिले भर में "जल जागर महोत्सव" और "फसल चक्र परिवर्तन शिविर" जैसे जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। किसानों को समझाया गया कि धान की परंपरागत खेती के बजाय चना जैसी कम पानी वाली फसलों को अपनाकर वे न केवल पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकते हैं, बल्कि आर्थिक रूप से भी मजबूत हो सकते हैं।
परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में किसानों ने इस बार धान के बदले चना की खेती की, जिससे एक तरफ सिंचाई पर दबाव कम हुआ, वहीं दूसरी तरफ सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीदी से किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिला। यह कदम छत्तीसगढ़ सरकार की कृषक हितैषी सोच और दीर्घकालिक कृषि सुधार रणनीति की दिशा में एक मजबूत कदम है। इससे न केवल किसानों की आमदनी में वृद्धि हुई है, बल्कि राज्य में टिकाऊ कृषि की ओर भी एक अहम दिशा बनी है।
धमतरी जिले की इस सफलता से यह स्पष्ट हो गया है कि यदि योजनाएं सही तरीके से जमीन पर लागू की जाएं और किसानों को प्रेरित किया जाए, तो फसल चक्र में बदलाव लाकर जल संरक्षण, भूमि की उर्वरता और किसानों की आय – तीनों क्षेत्रों में उल्लेखनीय सुधार संभव है। आने वाले समय में उम्मीद की जा रही है कि सरकार इस मॉडल को अन्य जिलों में भी अपनाएगी और चना जैसी अन्य दलहन फसलों को भी समर्थन मूल्य के तहत बढ़ावा देगी।