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प्री-मानसून की दस्तक: कर्नाटक और महाराष्ट्र में तेज़ बारिश, मंडियों पर पड़ेगा असर

भारत के दक्षिण और पश्चिमी हिस्सों में प्री-मानसून गतिविधियों ने रफ्तार पकड़ ली है। बेंगलुरु और मध्य महाराष्ट्र जैसे प्रमुख कृषि और व्यापारिक क्षेत्रों में मौसम ने अचानक करवट ली है, जिससे आने वाले दिनों में मंडी ट्रांसपोर्ट, भंडारण.....

Weather 15 May
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भारत के दक्षिण और पश्चिमी हिस्सों में प्री-मानसून गतिविधियों ने रफ्तार पकड़ ली है। बेंगलुरु और मध्य महाराष्ट्र जैसे प्रमुख कृषि और व्यापारिक क्षेत्रों में मौसम ने अचानक करवट ली है, जिससे आने वाले दिनों में मंडी ट्रांसपोर्ट, भंडारण और फसल प्रबंधन पर सीधा असर पड़ने की संभावना है।

बेंगलुरु में लगातार दूसरे दिन भारी वर्षा दर्ज की गई, जहां कल 35 मिमी बारिश हुई — जो पिछले एक महीने में सबसे ज़्यादा है। मई की शुरुआत में जहां बिखरी हुई वर्षा देखने को मिल रही थी, वहीं अब बारिश का दौर मजबूत होता दिख रहा है। इस महीने अब तक कुल 76.1 मिमी वर्षा हो चुकी है, जो औसत 107.4 मिमी के काफी करीब है। आने वाले दिनों में यह आंकड़ा समय से पहले पार हो सकता है।

इस बारिश के पीछे एक मजबूत ट्रफ सिस्टम है जो विदर्भ से लेकर केरल तक फैला हुआ है। यह सिस्टम न केवल कर्नाटक के भीतरी हिस्सों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि महाराष्ट्र के मराठवाड़ा और मध्य क्षेत्रों में भी मौसम को तेज़ बना रहा है। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर दोनों से आ रही नमी, और संभावित चक्रवातीय गतिविधियाँ इस ट्रेंड को और तेज़ करेंगी।

महाराष्ट्र में खासतौर पर नासिक, पुणे, कोल्हापुर, सांगली, सोलापुर और आसपास के जिलों में तेज़ बारिश, बिजली गिरने और कहीं-कहीं ओलावृष्टि की संभावना जताई जा रही है। यह गतिविधियाँ दो चरणों में होंगी — पहला 15 से 17 मई और दूसरा 19 से 23 मई के बीच। वहीं, कोकण और मुंबई रीजन में असर थोड़ी देर से शुरू होगा, लेकिन 18 मई के आसपास एक ऑफ-शोर वॉर्टेक्स बनने की संभावना है, जिससे इन इलाकों में भी प्रभाव दिखेगा।

मौसम विभाग का कहना है कि इन प्री-मानसून बारिशों की प्रकृति बिखरी हुई रहेगी। यानी एक ही जिले में कुछ क्षेत्रों में तेज़ बारिश तो कुछ में सूखा हो सकता है। लेकिन फिर भी, बार-बार हो रही वर्षा से तापमान में गिरावट आएगी और खेतों व बांधों में जलस्तर सुधरेगा।

व्यापारिक दृष्टिकोण से असर:

इन प्री-मानसून गतिविधियों का असर कई कृषि जिंसों के व्यापार पर पड़ेगा, खासतौर पर उन राज्यों में जहां अभी कटाई या स्टोरेज की प्रक्रिया चल रही है। सोयाबीन, प्याज़, चना, दालें, और तिलहन जैसे उत्पादों में नमी से नुकसान की आशंका है। मंडी डिलीवरी, ट्रांसपोर्ट मूवमेंट और स्टॉक प्रबंधन में दिक्कतें आ सकती हैं। व्यापारी वर्ग को सलाह है कि वे आने वाले 10 दिनों के लिए अपने व्यापारिक फैसलों में मौसम को ध्यान में रखें।

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