यह समय किसानों के लिए चिंता और रणनीति दोनों का है। देश की विभिन्न मंडियों में चना, मसूर, अरहर जैसी प्रमुख दलहन फसलों के दाम लगातार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे बने हुए हैं। मंडी में चने की औसत कीमत ₹5,514 प्रति क्विंटल है, जबकि MSP ₹5,650 है। मसूर में यह अंतर 8% तक पहुंच गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह दबाव अस्थायी है और जून से मांग में सुधार की संभावना बन रही है, जिससे कीमतें ऊपर जा सकती हैं।
AFTA के महासचिव सुनील बलदेवा के अनुसार, जून के मध्य से दालों की मांग में स्वाभाविक बढ़ोतरी देखी जाएगी, जिससे बाजार को सपोर्ट मिलेगा। उनका यह भी मानना है कि सस्ते विदेशी आयात की अब आवश्यकता नहीं है और घरेलू किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए मसूर और चने पर लगाए गए आयात शुल्क सही दिशा में कदम हैं।
नीति के स्तर पर भी सरकार ने UK-India FTA में दालों को शामिल न करके किसानों के हितों की रक्षा की है। इससे सस्ती विदेशी आपूर्ति का दबाव टल सकता है। इससे पहले RCEP से बाहर निकलने का फैसला भी इसी रणनीति का हिस्सा था।
किसानों के लिए यह समय सतर्क रहने का है। यदि आपके पास भंडारण की सुविधा है, तो जून-जुलाई तक फसल रोककर रखा जाना लाभदायक हो सकता है। बाजार की चाल पर नजर रखें, क्योंकि मांग बढ़ने पर भाव सुधरने की पूरी संभावना है।