महाराष्ट्र के परभणी और हिंगोली जिलों में रबी सीजन 2024-25 के लिए चना की सरकारी खरीद 1 अप्रैल से शुरू हो चुकी है, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से अभी तक एक भी किसान ने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है। सरकार ने इन दोनों जिलों में कुल 380.96 टन चना की खरीद का लक्ष्य तय किया है और 28 खरीद केंद्रों पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा दी गई है, फिर भी किसान इन केंद्रों की ओर नहीं बढ़ रहे।
राज्य के सहकारिता संघ ने चना के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 5650 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, और इसकी खरीद 29 जून 2025 तक की जाएगी। लेकिन खुले बाजार में चना इससे बेहतर कीमतों पर बिक रहा है— न्यूनतम 5400 रुपये से लेकर अधिकतम 5700 रुपये प्रति क्विंटल तक। यही कारण है कि किसान अब एमएसपी पर बिक्री करने की बजाय खुले बाजार में व्यापार को प्राथमिकता दे रहे हैं।
पिछले वर्ष परभणी में 1.90 लाख हेक्टेयर और हिंगोली में 1.59 लाख हेक्टेयर में चने की बुवाई हुई थी। इस बार पैदावार भी बेहतर रही है। फरवरी-मार्च के दौरान नई फसल की आवक के बाद बाजार में कीमतें गिरने लगीं, जिससे किसान संगठनों ने एमएसपी पर खरीद की मांग की थी। लेकिन अब जब सरकार ने एमएसपी के तहत खरीद की व्यवस्था की है, तब बाजार कीमतों में सुधार के कारण किसान इससे दूर हो रहे हैं।
रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि 25 अप्रैल है, लेकिन रजिस्ट्रेशन अब तक शून्य है। कृषि विभाग के सूत्रों के अनुसार, यदि यही स्थिति बनी रही तो तय लक्ष्य की खरीद अधूरी रह जाएगी।
सरकार को अब इस दिशा में पुनर्विचार करने की आवश्यकता है कि बाजार की मौजूदा परिस्थितियों में एमएसपी योजनाओं को कैसे किसानों के लिए अधिक आकर्षक बनाया जाए, ताकि वे लाभकारी मूल्य पर अपना उत्पाद बेच सकें और सरकारी खरीद व्यवस्था भी संतुलित बनी रहे।