वर्ष 2025 की गेहूं सरकारी खरीद ने अब तक 297.8 लाख टन का आंकड़ा पार कर लिया है, जो पिछले वर्ष की 262.7 लाख टन खरीद की तुलना में 13.4% अधिक है। यह पिछले चार वर्षों की सर्वाधिक सरकारी खरीद मानी जा रही है।
मध्य प्रदेश में अब तक 778 लाख टन की खरीद हुई है, जबकि लक्ष्य 800 लाख टन का रखा गया था। प्रदेश में कुल 1328 लाख टन की आवक दर्ज हुई है, और अनुमानित उत्पादन 2351 लाख टन बताया गया है।
पंजाब में इस वर्ष 1193 लाख टन की खरीद हुई है, जो लक्ष्य 1240 लाख टन से कम है। कुल 1301 लाख टन गेहूं की आवक रही, लेकिन निजी खरीदारों की सक्रियता के कारण सरकारी खरीद प्रभावित हुई है।
हरियाणा में भी स्थिति कुछ ऐसी ही रही। 750 लाख टन के लक्ष्य के मुकाबले 714 लाख टन की सरकारी खरीद दर्ज की गई है। राज्य में कुल आवक 727 लाख टन रही, जबकि अनुमानित उत्पादन 1136 लाख टन बताया गया है।
राजस्थान में इस बार सरकारी खरीद 188 लाख टन तक पहुंची है, जो पिछले साल की तुलना में अधिक है। 200 लाख टन के लक्ष्य के करीब पहुंचते हुए, 270 लाख टन की कुल आवक दर्ज की गई है। राज्य सरकार द्वारा दिए गए बोनस और सुचारु खरीद व्यवस्था से इसमें सुधार देखने को मिला है। अनुमानित उत्पादन 1095 लाख टन बताया गया है।
उत्तर प्रदेश की स्थिति अपेक्षाकृत कमजोर रही है। 300 लाख टन के लक्ष्य के मुकाबले अब तक केवल 102 लाख टन की खरीद हो सकी है, जबकि मंडियों में 320–360 लाख टन की आवक दर्ज की गई है। राज्य में उत्पादन का अनुमान 3574 लाख टन लगाया गया है, जिससे साफ है कि खरीद अभी लक्ष्य से बहुत पीछे है।
निष्कर्षतः, इस वर्ष गेहूं की कुल सरकारी खरीद 300 लाख टन के स्तर को पार नहीं कर पाएगी। पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश में खरीद सीजन लगभग समाप्त हो चुका है। राजस्थान और एमपी में बोनस और बेहतर प्रबंधन से खरीद में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वहीं उत्तर प्रदेश जैसे बड़े उत्पादक राज्य में कमजोर सरकारी खरीद और निजी क्षेत्र की बढ़ती हिस्सेदारी ने बाजार पर असर डाला है।