सरसों के बाजार में एक बार फिर मजबूती देखने को मिल रही है। अप्रैल के अंत तक जो भाव ₹5,900 प्रति क्विंटल के आसपास थे, वे मई के अंतिम सप्ताह में बढ़कर ₹6,400 तक पहुंच चुके हैं। बीते 30 दिनों में ₹500 की यह सीधी छलांग बाजार में नई उम्मीदों का संकेत है। लगातार कुछ सप्ताह तक स्थिर रहने के बाद अब सरसों ने एक सकारात्मक दिशा पकड़ ली है, जिससे व्यापारी और तेल मिलें फिर से सक्रिय होते दिख रहे हैं।
इस तेजी के पीछे प्रमुख कारणों में घरेलू मांग में सुधार, आयातित तेलों के दामों में बढ़ोतरी, और किसानों के पास सीमित स्टॉक शामिल हैं। मंडियों में नई आवक अब सीमित रह गई है, जबकि तेल मिलों ने खरीदी में रफ्तार पकड़ ली है। खासकर पाम और सोया तेल के महंगे विकल्पों की वजह से सरसों तेल की मांग बढ़ी है, जिससे बाजार को सपोर्ट मिला है।
अंतरराष्ट्रीय संकेत भी सरसों के पक्ष में हैं। प्रमुख निर्यातक देशों से आपूर्ति स्थिर बनी हुई है और वैश्विक स्तर पर खाद्य तेलों की कीमतों में कोई बड़ी गिरावट नहीं आई है। इन परिस्थितियों में घरेलू व्यापारियों का भरोसा मजबूत हुआ है। स्टॉक धीरे-धीरे खत्म हो रहा है और सरकारी एजेंसियों की खरीद सीमित बनी हुई है, जिससे प्राइवेट ट्रेडिंग को बल मिला है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि वर्तमान बाजार संरचना सरसों के भाव को सहारा दे रही है। यदि आगामी सप्ताहों में मानसून सामान्य रहा और खरीफ की फसलों में कोई बड़ा व्यवधान नहीं आया, तो यह तेजी और मजबूत हो सकती है। व्यापारियों को सलाह दी जा रही है कि वे बाजार की चाल पर नजर बनाए रखें और आवक, मांग व इंटरनेशनल ट्रेंड्स के आधार पर सौदे करें।