पिछले सप्ताह सोलापुर मंडी में सोयाबीन की शुरुआत ₹4530 प्रति क्विंटल पर हुई और सप्ताह के अंत में यह ₹4600 पर बंद हुआ। मांग बनी रहने से कीमतों में ₹70 प्रति क्विंटल की हल्की मजबूती देखने को मिली। इस समय देशभर में सोयाबीन की बुआई चल रही है। 4 जुलाई तक 79.04 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है, जो पिछले साल से 4.74% अधिक है।
हालांकि ज़मीनी स्तर पर तस्वीर थोड़ी अलग है। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और कर्नाटक जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में किसानों की प्राथमिकता बदल रही है। कई किसान मक्का और धान की बुआई को सोयाबीन के मुकाबले अधिक लाभकारी मान रहे हैं। SOPA के अनुसार, इस साल कुल बुआई में लगभग 5% की गिरावट हो सकती है, जबकि कुछ क्षेत्रों में रकबा 20–25% तक भी घट सकता है। 30 जून तक केवल 42.98 लाख हेक्टेयर में बुआई पूरी हुई थी।
रिपोर्टों के अनुसार जैसे-जैसे सोयाबीन के घटते रकबे की पुष्टि होगी, बाजार में कीमतों में ₹100–₹150 प्रति क्विंटल तक का सुधार देखा जा सकता है। हालांकि, मांग के मोर्चे पर डिओसी (सोयामील) और सोया ऑयल की खपत में फिलहाल कोई खास बढ़ोतरी नहीं है, जिससे कीमतों में बड़ी तेजी आने की संभावना कम है।
वैश्विक स्तर पर भी बाजार दबाव में है। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव के कारण अमेरिकी सोयामील की मांग घटी है। साथ ही, भारत और अमेरिका के बीच नॉन-GMO सोयामील आयात को लेकर समझौते की संभावना जताई जा रही है, जो घरेलू प्रोसेसिंग उद्योग पर अतिरिक्त दबाव डाल सकता है और कीमतों को प्रभावित कर सकता है।
वर्तमान में सोयाबीन की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे चल रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि नई फसल की आवक से पहले कीमतों में थोड़ी रिकवरी हो सकती है। व्यापारियों और स्टॉकिस्ट्स को सलाह दी जा रही है कि वे सितंबर के अंत या अक्टूबर तक स्टॉक होल्ड करें, क्योंकि कीमतें ₹4800–₹4900 प्रति क्विंटल के आसपास पहुंच सकती हैं।