कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मंगलवार को केंद्र सरकार पर तुअर दाल उत्पादक किसानों के आर्थिक संकट को जानबूझकर बढ़ावा देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि केंद्र की ड्यूटी-फ्री आयात नीति ने घरेलू कीमतों को बुरी तरह गिरा दिया है, जिससे कर्नाटक और महाराष्ट्र के किसानों को लगभग ₹1,550 करोड़ का नुकसान हुआ है।
सुरजेवाला ने कहा, "यह मूल्य गिरावट कोई प्राकृतिक आपदा या सूखे की वजह से नहीं हुई है, बल्कि मोदी सरकार की दिल्ली में बनाई गई नीतियों का नतीजा है। यह किसानों के साथ आर्थिक धोखाधड़ी है।"
उन्होंने दावा किया कि कर्नाटक और महाराष्ट्र देश की कुल तुअर दाल उत्पादन का 50% योगदान करते हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने समर्थन मूल्य (MSP) घोषित करने के बावजूद उचित मात्रा में खरीदारी नहीं की। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि 2022-23 में देश में 276.9 लाख टन दालें उत्पादित हुईं, लेकिन केवल 1.2 लाख टन ही MSP पर खरीदी गईं।
सुरजेवाला ने यह भी कहा कि मई 2021 से केंद्र सरकार ने तुअर दाल पर आयात शुल्क हटाकर विदेशों से सस्ती और निम्न गुणवत्ता वाली दालों को भारतीय बाजार में भर दिया। "जनवरी 2025 में जारी अधिसूचना के तहत मार्च 2026 तक आयात शुल्क मुक्त कर दिया गया है," उन्होंने कहा।
उन्होंने बताया कि:
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2022-23 में 24.9 लाख टन दाल आयात हुई,
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2023-24 में यह आंकड़ा बढ़कर 48.4 लाख टन हो गया,
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और 2024-25 में यह 67 लाख टन तक पहुंच गया।
कर्नाटक ने 2024-25 में लगभग 3.7 लाख टन GI-टैग वाली प्रीमियम तुअर दाल का उत्पादन किया, लेकिन इसमें से केवल 49,000 टन ही MSP पर खरीदी गई, बाकी किसानों को कम दामों पर बेचना पड़ा।
सुरजेवाला ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने अफ्रीकी देशों जैसे मोज़ाम्बिक के किसानों से वार्षिक 2 लाख टन दाल खरीदने के लिए दीर्घकालिक एमओयू साइन किए, जबकि देश के अपने किसान उपेक्षित रह गए।
उन्होंने बताया कि:
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2024-25 में तुअर दाल का MSP ₹7,550 प्रति क्विंटल था, लेकिन किसानों को ₹6,000 प्रति क्विंटल के दाम पर बेचने को मजबूर होना पड़ा।
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2025-26 के लिए कर्नाटक सरकार ने ₹16,548 प्रति क्विंटल MSP की मांग की थी, क्योंकि उत्पादन लागत ₹11,032 प्रति क्विंटल है, लेकिन केंद्र ने केवल ₹8,000 MSP तय किया है।
सुरजेवाला ने इसे मोदी सरकार द्वारा किसानों के खिलाफ रची गई "आर्थिक साजिश" करार दिया और केंद्र से घरेलू किसानों को प्राथमिकता देने की मांग की।