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मक्का बाजार का आउटलुक: फिलहाल स्थिर, लेकिन जनवरी में तेजी की मजबूत संभावना

व्यापारी भाइयों, मक्का के बाजार में पिछले 8–10 दिनों से लगातार मिला-जुला और रेंज-बाउंड रुझान देखने को मिल रहा है। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र सहित लगभग सभी प्रमुख राज्यों में स्थिति एक जैसी बनी हुई है। मौजूदा समय में मांग सीमित से हल्की मजबूत जरूर है, लेकिन इतनी नहीं कि बाजार में एकतरफा बड़ी तेजी बन सके। वहीं दूसरी ओर, कीमतों को नीचे खींचने वाला कोई बड़ा दबाव भी फिलहाल नजर न........

Business 2:02 PM
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व्यापारी भाइयों, मक्का के बाजार में पिछले 8–10 दिनों से लगातार मिला-जुला और रेंज-बाउंड रुझान देखने को मिल रहा है। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र सहित लगभग सभी प्रमुख राज्यों में स्थिति एक जैसी बनी हुई है। मौजूदा समय में मांग सीमित से हल्की मजबूत जरूर है, लेकिन इतनी नहीं कि बाजार में एकतरफा बड़ी तेजी बन सके। वहीं दूसरी ओर, कीमतों को नीचे खींचने वाला कोई बड़ा दबाव भी फिलहाल नजर नहीं आ रहा।

दिसंबर महीने में सामान्य तौर पर निर्यात मांग कमजोर रहती है और इसका असर इस बार भी देखने को मिला है। हालांकि, अब महीने का अंतिम चरण चल रहा है और बाजार की तस्वीर धीरे-धीरे साफ होती जा रही है। उत्तर प्रदेश और बिहार से मक्का की आवक लगभग समाप्त हो चुकी है, जिससे लंबे समय से बना सप्लाई प्रेशर अब कम होता दिख रहा है। यही वजह है कि पिछले 3–4 दिनों से मध्य प्रदेश लाइन में कीमतों को लगातार सहारा मिल रहा है और राजस्थान, एमपी व महाराष्ट्र के बाजारों में नए स्टॉकिस्ट और रैक खरीदार दोबारा सक्रिय होते नजर आ रहे हैं।

भाव की बात करें तो अभी बाजार ₹50–75 प्रति क्विंटल की तेजी-मंदी के सीमित दायरे में ही घूम रहा है। खरगोन मंडी में 14% नमी वाला मक्का ₹1700, 18–20% नमी ₹1550–1600, 20–30% नमी ₹1800 तक बोला गया, जबकि सूखा मक्का ₹1820–1830 पर स्थिर रहा। देवास और धामनोद जैसी अन्य मंडियों में भी भावों में खास बदलाव नहीं दिखा। प्लांट साइड पर धानुका प्लांट ₹1815 पर स्थिर रहा, जबकि तिरुपति स्टार्च में ₹25 की हल्की गिरावट के साथ ₹1875 का भाव रहा।
महाराष्ट्र में भी यही तस्वीर रही—सांगली मंडी में लगातार तीसरे दिन ₹2000–2125, जालना ₹1500–2200 और सह्याद्रि स्टार्च मिराज ₹1900 पर स्थिर भाव देखने को मिले।

मांग पक्ष की बात करें तो औद्योगिक उपयोग और कैटल फीड सेक्टर से मक्का की खपत लगातार बढ़ रही है। कई इलाकों में बाजरे की जगह मक्के का उपयोग शुरू हो चुका है। उत्तर प्रदेश में पुराना स्टॉक लगभग खत्म हो चुका है और एथेनॉल उत्पादन के बाद बचने वाले DDGS का भारी निर्यात होने से घरेलू बाजार में मक्के की उपलब्धता और सिमट गई है। इसके अलावा, NCDEX पर मक्का फ्यूचर्स शुरू होने की चर्चाओं ने भी व्यापारियों की सोच को बदला है, जिससे मक्का अब धीरे-धीरे एक मजबूत औद्योगिक कमोडिटी के रूप में उभरता नजर आ रहा है।

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