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सोयाबीन बाजार में लगातार मंदी का दौर

इस सप्ताह भी सोयाबीन बाजार में मंदी का रुख जारी रहा। डीओसी में सुस्त मांग और नई सोयाबीन की छुटपुट आवक ने बाजार धारणा को कमजोर कर दिया है। इन दिनों प्लांटों की खरीदी भी धीमी है, जिससे प्लांट रेट में करीब 100 रुपये तक की गिरावट आई है। महाराष्ट्र की कीर्ति प्लांट दरें इस सप्ताह 140 रुपये घटकर 4,560 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुईं। वहीं, मंडियों में भी भाव ऊपरी स्तर से 300 रुपये तक नीचे........

Business 13 Sep
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इस सप्ताह भी सोयाबीन बाजार में मंदी का रुख जारी रहा। डीओसी में सुस्त मांग और नई सोयाबीन की छुटपुट आवक ने बाजार धारणा को कमजोर कर दिया है। इन दिनों प्लांटों की खरीदी भी धीमी है, जिससे प्लांट रेट में करीब 100 रुपये तक की गिरावट आई है। महाराष्ट्र की कीर्ति प्लांट दरें इस सप्ताह 140 रुपये घटकर 4,560 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुईं। वहीं, मंडियों में भी भाव ऊपरी स्तर से 300 रुपये तक नीचे आ गए हैं।

बाजार पर दबाव की एक बड़ी वजह NAFED के निचले भाव पर टेंडर पास होना है। दरअसल, नाफेड ने सोया टेंडर 4,200-4,300 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर पास किए हैं, जिससे बाजार की लेवाली प्रभावित हो रही है। सस्ती उपलब्धता के कारण बाजार में मंदी का माहौल बन गया है। व्यापारियों का कहना है कि सरकार द्वारा कम भाव पर टेंडर जारी करने और नई आवक की शुरुआत से सोयाबीन बाजार का सेंटिमेंट कमजोर हुआ है। वहीं, त्योहारी सीजन को देखते हुए सोया तेल में केवल जरूरत अनुसार ही खरीदी हो रही है, जिससे भाव पर दबाव बना हुआ है।

हालांकि देशभर में जल्द ही नवरात्र और दिवाली जैसे त्योहार शुरू होने वाले हैं, लेकिन फिर भी डिमांड में कोई खास तेजी की उम्मीद नहीं है और कीमतें फिलहाल इसी दायरे में रहने की संभावना है। इसका मुख्य कारण यह है कि मध्य प्रदेश, जो देश का सबसे बड़ा सोयाबीन उत्पादक राज्य है, वहां अगले 10-15 दिनों में नई आवक शुरू हो जाएगी। वर्तमान में मालवा, कुरावर, बडौद और निमाड़ बेल्ट में नई सोयाबीन की छुटपुट आवक शुरू हो चुकी है। प्रमुख उत्पादक क्षेत्र जैसे गुना, अशोकनगर और गंजबासोदा में 22 सितंबर के बाद नई आवक शुरू होने की उम्मीद है। नई आवक बढ़ने से सप्लाई में इजाफा होगा और कीमतों में तेजी की संभावना कम रहेगी।

हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गुना, अशोकनगर और गंजबासोदा के किसानों और व्यापारियों का कहना है कि इस साल बुआई के बाद से लगातार बारिश हुई है, जिससे फसलों का विकास ठीक से नहीं हो पाया और उत्पादन प्रभावित हो सकता है। महाराष्ट्र के उत्पादक इलाकों में भी यही स्थिति है। इस कारण उपज में थोड़ी कमी आ सकती है, जिससे सोयाबीन का लंबी अवधि का भविष्य मजबूत माना जा रहा है।

दूसरी ओर, CONAB की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्राज़ील के सोयाबीन किसानों ने 2024/25 में रिकॉर्ड उत्पादन हासिल किया है। उन्होंने रकबे का विस्तार करते हुए कुल 47.35 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन बोई, जो पिछले वर्ष से 2.7% अधिक है। देशभर में औसत उपज भी बढ़कर 3,621 किलो प्रति हेक्टेयर हो गई, जो 2023/24 की तुलना में 10.3% अधिक है।

व्यापारिक जानकारों का मानना है कि नई आवक की शुरुआत और प्लांटों की कमजोर खरीदी को देखते हुए फिलहाल सोयाबीन में बड़ी तेजी की संभावना नहीं है। आने वाले दिनों में सोयाबीन की कीमतों में 100-150 रुपये प्रति क्विंटल तक की और गिरावट देखने को मिल सकती है।

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