कृषि जिंसों के बाजार में फिलहाल तीन प्रमुख फसलों—गेहूं, बासमती चावल और मक्की—की चाल अलग-अलग दिशा में नजर आ रही है। एक ओर जहां सरकार की सक्रिय खरीद नीति ने गेहूं बाजार को समर्थन दिया है, वहीं अंतरराष्ट्रीय संकट ने बासमती चावल की निर्यात मांग को प्रभावित किया है। दूसरी ओर मक्की की कीमतें गुणवत्ता और क्षेत्रीय आपूर्ति पर आधारित बनी हुई हैं।
गेहूं में तेजी के संकेत:
मौजूदा खरीफ सीजन में गेहूं का उत्पादन अनुमानित 1150–1155 लाख टन तक पहुंचने की संभावना है। बावजूद इसके, सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर 150–175 रुपए प्रति क्विंटल के बोनस के साथ खरीदारी शुरू कर देने से मध्य प्रदेश और राजस्थान की मंडियों में मंदी का दौर थम गया है। निजी व्यापारियों ने भी 2450–2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से लगातार खरीद शुरू कर दी है। उम्मीद की जा रही है कि सरकार के खरीद लक्ष्य 310 लाख मीट्रिक टन को पार कर सकते हैं। हरियाणा और पंजाब में आवक का दबाव बढ़ने के बावजूद भावों में गिरावट की संभावना कम ही दिख रही है।
बासमती चावल पर युद्ध का असर:
ईरान-इज़राइल संघर्ष के चलते समुद्री रास्तों में बाधाएं आई हैं, जिससे बासमती चावल के शिपमेंट फंसे हुए हैं। इस स्थिति ने निर्यातकों को नए सौदे करने से पीछे हटा दिया है। इसका सीधा असर घरेलू बाजार पर पड़ा है—1718 सेला चावल के भाव एक सप्ताह में 7000 से घटकर 6300 रुपए प्रति क्विंटल रह गए हैं। वहीं, 1509, 1401 जैसे अन्य ग्रेड के चावलों में भी मांग की गंभीर कमी देखी जा रही है। मिडिल ईस्ट जैसे बड़े आयातक देशों में डिस्टर्ब हुई मांग से आगे भी दबाव की स्थिति बनी रह सकती है।
मक्का: क्वालिटी ही बनेगा गेमचेंजर:
उत्तर प्रदेश की बहराइच, एटा और कासगंज लाइन में नई फसल की आवक बढ़ने से हल्के माल का दबाव बना हुआ है। बावजूद इसके, क्वालिटी के अनुसार 2100–2150 रुपए प्रति क्विंटल तक भाव मजबूत बने हुए हैं। हरियाणा-पंजाब में गोदाम डिलीवरी पर मक्का 2375–2400 रुपए तक बिक रही है, हालांकि वहां के उद्योग बिहार की क्वालिटी को प्राथमिकता दे रहे हैं। बिहार के खगड़िया, बेगूसराय, मानसी और सेमापुर में नमी के हिसाब से भाव 2050–2150 रुपए तक पहुंचे हैं। हालांकि, मानसून की बरसात से आई खराब क्वालिटी फिलहाल मक्की बाजार में तेजी रोक रही है।
निष्कर्ष:
कृषि जिंसों का बाजार इस समय सरकारी नीतियों, अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों और गुणवत्ता आधारित मांग-आपूर्ति के संतुलन पर टिका हुआ है। निवेशकों और व्यापारियों को भावी रणनीति बनाते समय इन सभी कारकों को गंभीरता से समझना आवश्यक है।