केंद्र सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत गेहूं पर भंडारण सीमा लागू करने का आदेश 28 मई 2025 को जारी किया, जो 31 मार्च 2026 तक प्रभावी रहेगा। सरकार का उद्देश्य घरेलू आपूर्ति बढ़ाना और कीमतों पर नियंत्रण पाना था। नए आदेश के अनुसार व्यापारी/थोक खरीदार अधिकतम 3000 मीट्रिक टन, रिटेलर प्रति दुकान 10 मीट्रिक टन, और चेन रिटेलर कुल सीमा = दुकानों की संख्या × 10 एमटी तक गेहूं का स्टॉक रख सकते हैं। प्रोसेसर अपनी मासिक मिलिंग क्षमता के 70% के बराबर गेहूं स्टोर कर सकते हैं, बशर्ते वह क्षमता वर्ष 2025-26 के लिए घोषित हो।
हालांकि यह निर्णय अचानक आया और व्यापारियों को चौंकाया, लेकिन बाजार आंकड़ों से पता चलता है कि इसका गेहूं की कीमतों पर तत्काल कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा है। दिल्ली में 29 मई को गेहूं की कीमत 2755 रुपये प्रति क्विंटल थी, जबकि 30 मई को यह घटकर 2740-2745 रुपये पर रही। इससे स्पष्ट है कि मौजूदा स्टॉक लिमिट व्यापारी और फ्लोर मिलर्स की सामान्य स्टॉकिंग आदतों के अनुरूप है और बाजार की मांग अब भी मजबूत बनी हुई है।
वर्तमान में सरकारी खरीद लगभग समाप्त हो चुकी है, लेकिन व्यापारिक खरीद सक्रिय है और मंडियों में आवक सामान्य रूप से जारी है। थोक व्यापारी 3000 टन तक गेहूं स्टॉक कर सकते हैं और इससे अधिक की मात्रा अगले 15 दिनों में व्यापार के माध्यम से निपटा सकते हैं। प्रोसेसरों के लिए यह समय अनुकूल है क्योंकि उन्हें अपनी प्रोसेसिंग क्षमता के 70% तक स्टॉक की अनुमति दी गई है, जिससे वे आपूर्ति बनाए रख सकते हैं।
हालांकि सरकार ने इस वर्ष गेहूं उत्पादन का अनुमान 1175.10 लाख टन लगाया है जो अब तक का उच्चतम आंकड़ा है, लेकिन बाज़ार विशेषज्ञ इसे वास्तविक नहीं मानते। आने वाले दिनों में स्टॉक सीमा के असर का मूल्यांकन और बाजार की प्रतिक्रिया देखना जरूरी होगा।