केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि देश में तेलहन और दलहन की पैदावार बढ़ाने के लिए केवल मिशन योजनाएं बनाना काफी नहीं है, बल्कि सही नीतियां बनाना भी ज़रूरी है। उन्होंने वार्षिक रबी सम्मेलन में वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों से कहा कि वे खेती से जुड़ी निर्यात-आयात नीतियों पर फिर से सोचें, क्योंकि केवल मिशनों से उत्पादन नहीं बढ़ेगा।
उन्होंने बताया कि भारत लगभग सभी दालों को बिना किसी आयात शुल्क के बाहर से मंगाने की अनुमति देता है। इससे किसानों को अरहर और उड़द जैसी दालें उगाने का सही दाम नहीं मिल पाता और वे इनकी खेती छोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर मिशनों से ही उत्पादन बढ़ता, तो आज देश को तेल आयात नहीं करना पड़ता।
चौहान ने यह भी कहा कि प्राकृतिक खेती का मिशन तब तक सफल नहीं होगा, जब तक इसे वैज्ञानिक तरीके से दोबारा तैयार न किया जाए और किसानों को सही जानकारी न दी जाए। उन्होंने कहा कि नकली बीज, कीटनाशक और खाद बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी और अब केवल वही बायो स्टिम्युलेंट बेचे जाएंगे जो सभी मानकों पर खरे उतरते हैं।
उन्होंने मौसम की अनिश्चितता को देखते हुए अधिकारियों से ज़्यादा से ज़्यादा किसानों का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बीमा करवाने का आग्रह किया, ताकि किसानों को नुकसान होने पर मदद मिल सके। साथ ही उन्होंने बताया कि ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ अक्टूबर से फिर से चलाया जाएगा।
सरकार ने बजट 2025-26 में दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए एक राष्ट्रीय मिशन की घोषणा भी की है, जिसके लिए छह साल में ₹1,000 करोड़ खर्च किए जाएंगे। इस सम्मेलन में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के वैज्ञानिक, कृषि विशेषज्ञ, किसान प्रतिनिधि और केंद्र व राज्य सरकारों के अधिकारी भी शामिल हुए