देश के सरसों बाजार में शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन मजबूती का रुख देखने को मिला। प्रमुख मंडियों में तेल मिलों की सक्रिय मांग के चलते शुरुआती सत्र में कीमतों में तेजी रही, हालांकि दिन के उत्तरार्ध में ब्रांडेड मिलों द्वारा खरीद मूल्य में कटौती के चलते भावों में आंशिक नरमी देखी गई। जयपुर मंडी में मिल क्वालिटी कंडीशंड सरसों का भाव ₹25 की तेजी के साथ ₹6,325 प्रति क्विंटल तक पहुंचा, लेकिन शाम तक यह ₹6,275 पर बंद हुआ। इसी तरह कोटा और शम्साबाद में क्रमशः ₹50 प्रति क्विंटल की गिरावट के साथ भाव ₹6,200 और ₹6,950 पर आ गए।
अन्य प्रमुख स्थानों की बात करें तो अलवर (राजस्थान) में मिल क्वालिटी सरसों ₹5,950 पर स्थिर रही, जबकि मुरैना (मध्य प्रदेश) में यह ₹25 घटकर ₹5,975 पर रही। नई दिल्ली में भाव ₹6,100 पर बिना बदलाव के बंद हुआ। पूर्वी भारत में कोलकाता मंडी में एमपी लाइन और यूपी लाइन दोनों ₹6,400 प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रहीं। बाजार में आज कुल मिलाकर स्थिरता और क्षेत्रीय अंतर देखने को मिला, जिससे स्पष्ट है कि व्यापारी और प्रोसेसर फिलहाल विवेकपूर्ण खरीद नीति अपना रहे हैं।
देशभर की मंडियों में शुक्रवार को सरसों की कुल आवक लगभग 4.50 लाख बोरी रही, जो पिछले कारोबारी दिन के मुकाबले एक लाख बोरी अधिक है। इस बढ़ती आवक के बावजूद मांग में गिरावट नहीं देखने को मिली, जो इस बात का संकेत है कि घरेलू स्तर पर तेल मिलों की खरीद जारी है, खासकर विवाह मौसम और खाद्य तेल खपत में वृद्धि को देखते हुए।
हालांकि, अंतरराष्ट्रीय खाद्य तेल बाजार की कमजोरी घरेलू भावों पर दबाव बना रही है। मलेशिया की बुर्सा मलेशिया डेरिवेटिव्स एक्सचेंज में जुलाई डिलीवरी के लिए क्रूड पाम ऑयल (CPO) वायदा ₹31 रिंग्गिट (0.8%) गिरकर 3,880 रिंग्गिट प्रति टन पर बंद हुआ। इसी तरह शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड पर सोया तेल में भी 0.34% की गिरावट दर्ज की गई। इसके प्रभावस्वरूप देश में कच्चे सरसों तेल के भाव स्थिर रहने की प्रवृत्ति रही: कोटा में ₹1,331 प्रति 10 किलो, टौंक में ₹1,310–1,312 और कोलकाता में ₹1,360 प्रति 10 किलो पर तेल की कीमतें दर्ज की गईं।
मार्च और अप्रैल के दौरान देश की विभिन्न मंडियों में कुल मिलाकर लगभग 39 लाख टन सरसों की आवक दर्ज की गई है, जिसमें से अब तक करीब 24.50 लाख टन की पेराई हो चुकी है। 1 मई 2025 तक की स्थिति के अनुसार, तेल मिलों के पास 6.50 लाख टन, किसानों के पास 71.25 लाख टन और सरकारी एजेंसियों—NAFED तथा HAFED—के पास कुल 93.75 लाख टन सरसों का स्टॉक उपलब्ध है। यह भंडारण स्तर अगले कुछ महीनों तक घरेलू आपूर्ति संतुलित बनाए रखने में सक्षम माना जा रहा है।
बाजार विश्लेषकों का मानना है कि वैश्विक स्तर पर फिलहाल खाद्य तेल बाजार में कोई बड़ी तेजी की संभावना नहीं है। इसके चलते देश में सरसों के भावों में भी निकट भविष्य में सीमित दायरे में हलचल की संभावना बनी रहेगी। हालांकि, घरेलू मांग मजबूत बनी रहने के चलते बाजार को स्थायित्व और सपोर्ट मिलता रहेगा। निवेशकों और व्यापारियों के लिए यह समय सतर्कता के साथ अवसरों की पहचान का है।