इंदौर, न्यू वर्ल्ड प्रतिनिधि: कर्नाटक और महाराष्ट्र के कुछ बाजारों में नए चने की आवक शुरू हो चुकी है, और आने वाले समय में इसकी नियमित आपूर्ति बढ़ने की संभावना है। इसके साथ ही, ऑस्ट्रेलिया सहित अन्य देशों से चने का बड़े पैमाने पर आयात भी हो रहा है, जिससे देसी चने की आपूर्ति में वृद्धि हुई है और कीमतों पर दबाव बढ़ा है। इस बीच, केंद्र सरकार ने 2024-25 सत्र के लिए चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 210 रुपये बढ़ाकर 5650 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है, जो बाजार में चल रही कीमतों के आसपास है।
बुधवार को इंदौर बाजार में चने की कीमत 5500 से 6150 रुपये प्रति क्विंटल के बीच रही, जो गुणवत्ता के आधार पर बदलती रही। चने की बुवाई में वृद्धि और सामान्य मौसम के कारण व्यापार विश्लेषकों का कहना है कि अगर आपूर्ति का दबाव बढ़ता है, तो चने की कीमतों में और गिरावट आ सकती है। केंद्र सरकार ने 31 मार्च 2025 तक चने के आयात को ड्यूटी फ्री करने की अनुमति दी है, जिससे घरेलू फसल की आवक फरवरी-मार्च में बढ़ेगी।
इस बीच, येलो पीस का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है और इसे 28 फरवरी तक ड्यूटी फ्री आयात किया जा सकता है। इसके साथ ही, कर्नाटक के कलबुर्गी में सरकार ने 96,495 टन चने की खरीद मूल्य समर्थन योजना के तहत मंजूर की है, जो किसानों को राहत देने का काम करेगी। अगर राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में अन्य उत्पादों की आवक मजबूत होती है, तो चने की कीमतों में नरमी आ सकती है।
बिदर और बदगीर जैसी मंडियों में नए चने की कीमत 5500-6000 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर चुकी है, जबकि महाराष्ट्र के प्रमुख मंडियों जैसे अकोला और लातूर में कीमतें 6000-6400 रुपये प्रति क्विंटल तक हैं। वहीं, उडगीर और दुधानी मंडियों में चने की कीमत 5500-5800 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर चुकी है। कीमतों में गिरावट ने उत्पादकों की चिंता बढ़ा दी है।