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कमजोर मांग से चावल और मूंग के दाम गिरे, गेहूं में बनी मजबूती

देश की प्रमुख मंडियों में इस सप्ताह कई खाद्य जिंसों में कीमतों में उतार-चढ़ाव देखा गया। एक ओर जहां कमजोर उपभोक्ता मांग के चलते बारीक चावल और मूंग की कीमतों में गिरावट आई, वहीं गेहूं की कीमतें ..............

Business 25 Apr
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देश की प्रमुख मंडियों में इस सप्ताह कई खाद्य जिंसों में कीमतों में उतार-चढ़ाव देखा गया। एक ओर जहां कमजोर उपभोक्ता मांग के चलते बारीक चावल और मूंग की कीमतों में गिरावट आई, वहीं गेहूं की कीमतें सीमित आपूर्ति और सरकारी खरीद के चलते मजबूती के साथ बनी रहीं।

बाजार विश्लेषकों के अनुसार, बारीक चावल की कीमतों में ₹100 प्रति क्विंटल की गिरावट आई है। वहीं, मूंग की मांग दाल मिलों से कमजोर रहने के कारण राजस्थान मूंग ₹7300 से गिरकर ₹7000 प्रति क्विंटल और मध्यप्रदेश मूंग ₹6600 से ₹7100 के स्तर पर आ गई। चना की कीमतें भी स्थिर बनी हुई हैं, जो लॉरेंस रोड पर ₹5750/5760 प्रति क्विंटल पर दर्ज की गई।

उधर, प्रीमियम बासमती चावलों की कीमतों में भी नरमी रही। 1121 बासमती सेल्ड चावल ₹100 घटकर ₹7000/7100 पर आ गया, जबकि स्ट्रीम ₹7900/8000 पर स्थिर रहा। 1509 वैरायटी ₹5750/5760 पर टिकी रही। 1718 बासमती सेल्ड ₹5700/5800 पर और सामान्य सेला चावल ₹5500/5550 तथा स्ट्रीम ₹6200/6300 पर व्यापार करते रहे।

वहीं गेहूं ने बाजार में मजबूती दिखाई। आटा मिलों की ओर से सीमित बिक्री और खरीद के दबाव के कारण लॉरेंस रोड पर गेहूं की कीमतें ₹2650/2660 प्रति क्विंटल तक मजबूत बनी रहीं।

सरकारी खरीद की बात करें तो मध्यप्रदेश और राजस्थान में बोनस के साथ MSP पर जोरदार खरीदी जारी है। अभी तक 160 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद केंद्र सरकार के केंद्रीय पूल के लिए हो चुकी है, जो पिछले वर्ष की तुलना में कहीं अधिक है। मध्यप्रदेश में 60 लाख मीट्रिक टन, पंजाब में 125 लाख मीट्रिक टन, और हरियाणा में 70 लाख मीट्रिक टन की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

बिहार और पंजाब में वर्तमान में कीमतें अपेक्षाकृत ऊंची बनी हुई हैं, इसलिए वहां से भारी आवक की प्रतीक्षा की जा रही है। ऐसे में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि निकट भविष्य में गेहूं की आपूर्ति और कीमतों में स्थिरता बनी रह सकती है।

निष्कर्षतः, जहां एक ओर मूंग और चावल की कीमतों में गिरावट किसानों और व्यापारियों के लिए चिंता का विषय है, वहीं गेहूं की सरकारी खरीद और अच्छी मांग के चलते इसमें मजबूती बरकरार है। आने वाले हफ्तों में रबी की आवक और सरकारी नीतियों के प्रभाव से बाजार की चाल और स्पष्ट होगी।

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