अप्रैल माह उड़द व्यापार के लिए निराशाजनक रहा। मंडियों में देसी और विदेशी उड़द का स्टॉक लगभग समाप्त हो चुका है, लेकिन ग्राहकी कमजोर रहने से भाव गिर गए। एसक्यू ग्रेड उड़द, जो पहले ₹83/किलो बिकी थी, वह अब ₹77.5/किलो पर आ गई है। वहीं एफएक्यू ग्रेड के भाव भी ₹76 से गिरकर ₹72/किलो तक आ गए।
हालांकि, दाल मिलों की मांग कमजोर होने के बावजूद, अब बाजार में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं। चेन्नई से उड़द लाने पर वर्तमान भावों पर माल "बराबर" लग रहा है, जबकि वायदा बाजार में भाव ऊँचे हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में 3-4 रुपये प्रति किलो तक तेजी देखी जा सकती है।
दाल मिलें अभी अपने पुराने स्टॉक को ही निकालने में लगी हैं। छिलका व धोया दाल की बिक्री भी बहुत कम है। देसी उड़द की नई फसल 6 महीने बाद ही आएगी, जबकि बर्मा से शिपमेंट की कीमतें काफी ऊँची बताई जा रही हैं। वर्तमान में बर्मा से एफएक्यू $790/टन और एसक्यू $870/टन (C&F) के भाव पर कोट किया जा रहा है।
वर्तमान में व्यापारी और दाल मिलें हाथ-से-मुँह की स्थिति में काम कर रही हैं। इस स्थिति को देखते हुए माना जा रहा है कि मई महीने के बाद बाजार में मजबूती आ सकती है।
हालांकि, यह भी देखा गया है कि अटकलबाज़ों (speculators) ने कम स्टॉक के बावजूद बाजार में एडवांस सौदे कर व्यापारी वर्ग का मनोबल तोड़ दिया है। बाजार में रंगुनी किस्म की उड़द की थोड़ी मात्रा आई है, और हरी उड़द मई में आती है, लेकिन अभी पाइपलाइन में ज्यादा स्टॉक नहीं है।
इस कमी का फायदा उठाते हुए कुछ सटोरिए कम दाम पर माल बेचकर पीछे से स्टॉक खरीदने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में शॉर्ट टर्म में उड़द SQ में ₹3-4/किलो का मुनाफा मिल सकता है, लेकिन लॉन्ग टर्म तेजी की रणनीति से बचने की सलाह दी जा रही है।