“किसी बाहरी दबाव में नहीं झुकेगा भारत”, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को कहा, जब उन्होंने व्यापार के “हथियारकरण” और अस्थिर भू-राजनीतिक परिस्थितियों के बीच आत्मनिर्भरता की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अब दुनिया में व्यापार और शुल्क हथियार बन गए हैं, ऐसे में भारत को अपनी राह खुद चुननी होगी।
चौहान ने कहा कि खाद्य सुरक्षा के लिए वैश्विक बाजार पर भरोसा नहीं किया जा सकता, इसलिए आत्मनिर्भर बनना आवश्यक है। उन्होंने याद दिलाया कि भारत कभी अमेरिका के PL480 कार्यक्रम के तहत खाद्य सहायता पर निर्भर था, लेकिन अब देश खाद्य सुरक्षा के मामले में काफी आगे बढ़ चुका है।
दालों में आत्मनिर्भरता मिशन
सरकार ने दाल उत्पादन को 40% बढ़ाकर 2030-31 तक 35 मिलियन टन करने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए ₹11,440 करोड़ की लागत से “मिशन फॉर आत्मनिर्भरता इन पल्सेस” को मंजूरी दी गई है। यह योजना 2025-26 से 2030-31 तक चलेगी और 2 करोड़ से अधिक किसानों को लाभ देगी।
साथ ही, प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PMDDKY) के तहत 100 आकांक्षी जिलों में दाल उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा। चौहान ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दाल उत्पादक और उपभोक्ता है, लेकिन अभी भी आत्मनिर्भर नहीं है।
आयात नीति व भावी योजनाएं
2020-21 से 2024-25 के बीच दालों पर आयात निर्भरता 9% से बढ़कर 23.1% हो गई है। सरकार ने पीली मटर, तुअर और उड़द पर 31 मार्च 2026 तक ड्यूटी-फ्री आयात की अनुमति दी है, जबकि चना और मसूर पर 10% शुल्क FY26 तक लागू रहेगा।
भारत दालों का आयात मुख्य रूप से मोज़ाम्बिक, तंज़ानिया, म्यांमार, कनाडा, रूस, ऑस्ट्रेलिया और ब्राज़ील से करता है। चौहान ने कहा कि किसानों के हितों की रक्षा के लिए सरकार आयात शुल्कों पर आवश्यक निर्णय लेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 अक्टूबर को औपचारिक रूप से दाल मिशन और PMDDKY का शुभारंभ करेंगे, जिसके साथ ही कृषि, पशुपालन, मत्स्य और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में ₹42,000 करोड़ से अधिक के 1,100 प्रोजेक्ट्स भी शुरू किए जाएंगे।