पश्चिमी कनाडा में मसूर की कीमतें लगातार कमजोर बनी हुई हैं। लेकिन इसकी वजह न तो बुवाई का दबाव है और न ही कोई मौसमी असर। असली कारण है वैश्विक स्तर पर भरपूर आपूर्ति और प्रमुख आयातक देशों, खासकर भारत, की कमजोर खरीद।
कैलगरी स्थित जॉनस्टन ग्रेन के ट्रेडर लेवोन सर्गस्यन बताते हैं कि “निर्यात बहुत धीमा है और स्थानीय ट्रेडर्स भी फिलहाल कोई बड़ी खरीद करने को तैयार नहीं हैं। इसका सीधा असर कीमतों पर पड़ा है।”
16 जून तक की रिपोर्ट के अनुसार हरी मसूर की प्रमुख किस्में — लार्ड, एस्टन और रिचलिया — पिछले महीने की तुलना में 7 सेंट प्रति पाउंड तक कमजोर हुई हैं। लाल मसूर में भी 2 से 2.5 सेंट प्रति पाउंड की गिरावट देखी गई है।
वर्तमान डिलीवरी दरें इस प्रकार रहीं:
लार्ड: 40.5 से 50 सेंट/पाउंड,
एस्टन: 33.5 से 38 सेंट/पाउंड,
रिचलिया: 33.5 से 42 सेंट/पाउंड,
लाल मसूर: 28 से 31 सेंट/पाउंड।
सर्गस्यन के अनुसार, “लाल मसूर की कीमतें शुरू में घरेलू मांग के सहारे बनी रहीं, लेकिन अब जब घरेलू डिमांड पूरी हो चुकी है, तो निर्यात बाज़ार कीमतों पर हावी है। हरी मसूर पर इसका असर और भी ज्यादा हुआ है।”
स्टैटिस्टिक्स कनाडा के मार्च अनुमान के अनुसार 2025-26 में मसूर की बुवाई 41.74 लाख एकड़ तक रहने की संभावना है, जो पिछले साल से थोड़ा कम है। कृषि विभाग ने 2025-26 में कुल उत्पादन 23.25 लाख टन रहने का अनुमान दिया है, जो पिछले साल से 4% कम है। दोनों वर्षों के लिए निर्यात अनुमान 21 लाख टन और कैरीओवर स्टॉक 3.05 लाख टन रहेगा।
हालांकि, फसल की स्थिति को लेकर चिंता बनी हुई है। सर्गस्यन कहते हैं कि “कई किसान इस बार औसत से कम पैदावार की संभावना जता रहे हैं क्योंकि मौसम काफी गर्म और शुष्क रहने का अनुमान है। इसका असर आने वाले हफ्तों में कीमतों पर पड़ सकता है।”
यदि भारत और अन्य बड़े आयातकों से मांग बढ़ती है तो कीमतों में फिर से स्थिरता आ सकती है। लेकिन जब तक डिमांड नहीं बढ़ती, बाजार पर दबाव बना रहना तय है।