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अमेरिकी टैरिफ बनाम वैश्विक कृषि व्यापार: भारत सहित 5 देशों ने नहीं मानी शर्तें, क्या अब कृषि उत्पादों पर संकट आएगा?

2024 में अमेरिका और उसके प्रमुख व्यापारिक साझेदारों के बीच कुल व्यापार ₹300 लाख करोड़ से अधिक का रहा, जिसमें बड़ी भूमिका कृषि और एग्रो-बेस्ड उत्पादों की रही। लेकिन राष्ट्रपति ट्रम्प की टैरिफ धमकियों और बढ़ी हुई शुल्क नीति ने इस व्यापार में असंतुलन ला दिया है। अमेरिका ने उन देशों पर भारी शुल्क लगाए हैं, जिन्होंने उसके साथ समझौता करने से इनकार किया — इनमें भारत, चीन, ब्राज़ील, कनाडा और दक्षिण अफ्रीका शामि....

International 07 Aug  Dainik Bhaskar
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2024 में अमेरिका और उसके प्रमुख व्यापारिक साझेदारों के बीच कुल व्यापार ₹300 लाख करोड़ से अधिक का रहा, जिसमें बड़ी भूमिका कृषि और एग्रो-बेस्ड उत्पादों की रही। लेकिन राष्ट्रपति ट्रम्प की टैरिफ धमकियों और बढ़ी हुई शुल्क नीति ने इस व्यापार में असंतुलन ला दिया है। अमेरिका ने उन देशों पर भारी शुल्क लगाए हैं, जिन्होंने उसके साथ समझौता करने से इनकार किया — इनमें भारत, चीन, ब्राज़ील, कनाडा और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं।

अमेरिका और प्रमुख देशों के कृषि व्यापार – डेटा हाइलाइट्स:

भारत-अमेरिका व्यापार (₹11 लाख करोड़)
भारत से निर्यात: फार्मास्युटिकल्स, टेलीकॉम, पेट्रोलियम, गहने, कपड़े
अमेरिका से भारत को निर्यात: कच्चा तेल, पेट्रोलियम, कोयला, हीरे
स्थिति: भारत ने अमेरिकी डेयरी और मांसाहारी दूध उत्पादों को स्वीकार नहीं किया। परिणामस्वरूप भारत पर 25% टैरिफ लगाया गया।

चीन-अमेरिका व्यापार (₹48 लाख करोड़)
चीन से निर्यात: इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा, स्मार्टफोन
अमेरिका से निर्यात: सोयाबीन, मक्का, एलएनजी, कच्चा तेल
स्थिति: टैरिफ वॉर के चलते चीन पर 30%, अमेरिका पर 10% टैरिफ लगा। अमेरिका चाहता था कि चीन सरकारी कंपनियों को दी जा रही सब्सिडी खत्म करे।

जापान-अमेरिका व्यापार (₹19 लाख करोड़)
जापान से निर्यात: कार, ऑटो पार्ट्स, गैस टरबाइन, फार्मा
अमेरिका से निर्यात: नेचुरल गैस, मांस, वैक्सीन
स्थिति: जापान ने झुकते हुए 100 बोइंग विमान और 45 लाख करोड़ का निवेश घोषित किया।

साउथ कोरिया-अमेरिका व्यापार (₹16 लाख करोड़)
कोरिया से निर्यात: इंटीग्रेटेड सर्किट, ऑटोमोबाइल
अमेरिका से निर्यात: ईंधन, मशीनी उपकरण, सोयाबीन
स्थिति: कोरिया ने ऊर्जा खरीद और निवेश वादा किया, टैरिफ घटाया गया।

ब्राज़ील-अमेरिका व्यापार (₹7 लाख करोड़)
ब्राज़ील से निर्यात: कॉफी, बीफ, फ्रूट जूस, मसाले
अमेरिका से निर्यात: रिफाइंड पेट्रोलियम, नेचुरल गैस, फार्मा
स्थिति: झुका नहीं, 50% टैरिफ झेल रहा।

इंडोनेशिया-अमेरिका व्यापार (₹3.58 लाख करोड़)
इंडोनेशिया से निर्यात: पाम ऑयल, जूट, टेलीफोन सेट
अमेरिका से निर्यात: सोयाबीन, मशीनी उपकरण
स्थिति: 50 बोइंग विमान खरीदने का वादा, टैरिफ घटा।

कनाडा-अमेरिका व्यापार (₹79 लाख करोड़)
कनाडा से निर्यात: गेंहू, मक्का, ऑटो पार्ट्स
अमेरिका से निर्यात: इथेनॉल, लकड़ी, कागज
स्थिति: फिलिस्तीन समर्थन के चलते टैरिफ 25% से बढ़ाकर 35% हुआ।

ट्रम्प की नीतियों का एग्री बिज़नेस पर प्रभाव:

  1. कृषि उत्पादों पर टैरिफ बढ़ने से भारत, ब्राज़ील, चीन जैसे देशों को अमेरिका में अपनी हिस्सेदारी कम करनी पड़ी।

  2. सोयाबीन, मक्का, कॉफी, मसाले, दूध जैसे एग्रो प्रोडक्ट टैरिफ युद्ध में सीधे प्रभावित हुए।

  3. छोटे किसान, MSME और डेयरी यूनिट्स को इंटरनेशनल ट्रेड से बाहर होने का खतरा।

  4. भारत ने अमेरिका की डेयरी शर्तें ठुकराई, खासकर मांसाहारी गाय से जुड़े दूध उत्पादों पर धार्मिक और सामाजिक चिंता जताई।

विकल्प क्या हैं?

  • भारत, ब्राज़ील, दक्षिण अफ्रीका जैसे देश WTO में शिकायत दर्ज कर चुके हैं।

  • नई मार्केट्स की खोज: एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में बाजार विस्तार की कोशिशें।

  • घरेलू उद्योगों को सब्सिडी और राहत पैकेज: जिससे अमेरिकी टैरिफ का असर कम किया जा सके।

निष्कर्ष:

ट्रम्प की टैरिफ नीति से जहां कुछ देशों ने दबाव में आकर झुकाव दिखाया, वहीं भारत जैसे देशों ने अपने कृषि और डेयरी सेक्टर की आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दी। यह स्पष्ट है कि आने वाले समय में भारत जैसे देशों को अपने एग्री एक्सपोर्ट को नए बाजारों की ओर मोड़ना होगा और प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों पर विशेष ध्यान देना होगा।

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