वैश्विक पल्स बाजार में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है, जहां रूस की आक्रामक मूल्य निर्धारण नीति ने पीली मटर के व्यापार को नए सिरे से परिभाषित करना शुरू कर दिया है। रूस ने जुलाई-अगस्त डिलीवरी के लिए चीन को भेजी जाने वाली पीली मटर की कीमत में $20 की कटौती कर इसे $355 प्रति टन कर दिया है। भारत के लिए कीमतें $5 घटकर $370 और पाकिस्तान के लिए $10 घटकर $365 प्रति टन हो गई हैं। इसके विपरीत, कनाडा ने अपनी दरों को यथावत रखा है — भारत के लिए $430 और चीन के लिए $370 प्रति टन।
इस मूल्य युद्ध के पीछे रूस की 5.1 मिलियन टन की विशाल फसल उत्पादन क्षमता है, जो कनाडा की 3.17 मिलियन टन उत्पादन से कहीं अधिक है। इस उत्पादन लाभ ने रूस को अधिक प्रतिस्पर्धी मूल्य देने की शक्ति दी है, जिससे एशियाई बाजारों में उसका प्रभुत्व और भी मजबूत हो गया है।
भारत सरकार द्वारा पीली मटर और तुअर (अरहर) दाल के ड्यूटी-फ्री आयात की अनुमति मार्च 2026 तक बढ़ा दी गई है। इस नीति का सीधा लाभ रूस को मिल रहा है, क्योंकि भारत रूस के साथ अपने रक्षा और कूटनीतिक संबंधों को मजबूत बनाए रखना चाहता है।
इस मूल्य कटौती का असर तुअर दाल (pigeon peas) पर भी पड़ा है। म्यांमार ने बाजार दबाव के चलते अपनी 'लेमन टाइप' तुअर की कीमतों में $30 (लगभग 4%) की कटौती की है, जो अब $700 प्रति टन हो गई है। जबकि भारत में घरेलू तुअर की कीमतें ₹65,000 प्रति टन के नीचे चल रही हैं, जो न्यूनतम समर्थन मूल्य ₹75,500 से काफी कम हैं।
इन वैश्विक घटनाक्रमों ने भारत के घरेलू पल्स बाजार में दबाव बढ़ा दिया है। यह स्थिति किसानों के लिए नुकसानदायक है, लेकिन आयात पर निर्भर प्रसंस्करण इकाइयों और उपभोक्ताओं को इससे राहत मिल रही है।
ट्रेडिंग के लिए अवसर और जोखिम:
अवसर:
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रूस और कनाडा के मूल स्थानों के बीच मूल्य अंतर का लाभ उठाना
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पीली मटर और तुअर के बीच विकल्प आधारित खरीद
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दीर्घकालिक आपूर्ति सुरक्षा हेतु विविध स्रोतों से अनुबंध
जोखिम:
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रूस पर अत्यधिक निर्भरता से जुड़े भू-राजनीतिक खतरे
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भारत की आयात नीति में संभावित बदलाव
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प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में मौसम आधारित अनिश्चितता
निष्कर्ष:
रूस की उत्पादन बढ़त और मूल्य रणनीति न केवल पीली मटर बाजार पर प्रभाव डाल रही है, बल्कि इसके विकल्प माने जाने वाली दालों की कीमतों को भी प्रभावित कर रही है। भारत जैसे बड़े उपभोक्ता देश के लिए यह स्थिति व्यापार के नए अवसर तो लाती है, लेकिन घरेलू किसानों और नीति निर्माताओं के लिए चिंता का विषय भी है। ऐसे में व्यापारियों को तेजी से बदलते इस परिदृश्य में सतर्क और रणनीतिक रूप से तैयार रहना होगा।