भोपाल, 7 जुलाई 2025 – मध्यप्रदेश में ग्रीष्मकालीन मूंग और उड़द की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदी की प्रक्रिया आज से औपचारिक रूप से शुरू हो गई है। यह खरीदी 6 अगस्त 2025 तक प्रदेश के निर्धारित खरीदी केंद्रों पर जारी रहेगी। खरीदी उन्हीं किसानों से की जाएगी जिनका पंजीकरण 6 जुलाई 2025 तक पूरा हो चुका है।
राज्य सरकार ने इस खरीदी सत्र में मूंग के लिए 3.51 लाख मीट्रिक टन और उड़द के लिए 1.23 लाख मीट्रिक टन की खरीद का लक्ष्य तय किया है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, अब तक 2.94 लाख किसानों ने मूंग और 11,495 किसानों ने उड़द बेचने के लिए पंजीकरण कराया है। खरीदी की यह प्रक्रिया मध्यप्रदेश के 36 जिलों में मूंग और 13 जिलों में उड़द के लिए स्थापित केंद्रों पर की जा रही है।
केंद्र सरकार ने विपणन वर्ष 2024–25 के लिए मूंग का MSP ₹8682 प्रति क्विंटल और उड़द का MSP ₹7400 प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। राज्य सरकार ने किसानों से समय रहते पंजीकरण कराने की अपील की थी, जिससे वे अपनी उपज का उचित मूल्य प्राप्त कर सकें। रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से की गई थी, जिसमें आधार कार्ड, बैंक खाता विवरण (IFSC कोड सहित) और भू-अधिकार पुस्तिका की स्वप्रमाणित प्रति अनिवार्य थी।
खरीदी केंद्रों पर पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने प्रत्येक केंद्र पर “व्यवस्था उपार्जन समिति” गठित की है। ये समितियां किसानों को समय पर भुगतान, सही तौल और अन्य सहायता प्रदान करने की जिम्मेदारी निभाएंगी।
मूंग खरीदी के लिए जिन जिलों को चिन्हित किया गया है उनमें जबलपुर, गुना, सागर, देवास, हरदा, इंदौर, भोपाल, खंडवा, नरसिंहपुर, सीहोर और रायसेन सहित कुल 30 जिले प्रमुख हैं। वहीं, उड़द की खरीदी बालाघाट, छिंदवाड़ा, मंडला, दमोह, कटनी, सिवनी और पन्ना जैसे 13 जिलों में होगी।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया कि खरीदी का प्रस्ताव 13 जून को केंद्र सरकार को भेजा गया था, जिसे शीघ्र ही स्वीकृति प्राप्त हुई। इससे पहले खरीदी प्रक्रिया में संभावित देरी और मूंग में कीटनाशकों के उपयोग को लेकर स्थिति असमंजस में थी, लेकिन राज्य सरकार ने सभी बिंदुओं को स्पष्ट कर खरीदी प्रक्रिया को समय पर लागू किया।
मध्यप्रदेश में ग्रीष्मकालीन (जायद) सीजन में मूंग और उड़द की खेती बड़े पैमाने पर होती है। इस वर्ष राज्य में उड़द की खेती लगभग 95,000 हेक्टेयर में की गई है, जिससे 1.24 लाख टन उत्पादन की संभावना है। मूंग की खेती राज्य के लगभग 30 जिलों में होती है और इसका भी उत्पादन बड़े स्तर पर होता है।
सरकार ने दोहराया है कि 6 जुलाई के बाद किसी भी किसान का पंजीकरण स्वीकार नहीं किया जाएगा। खरीदी केंद्रों पर पंजीकृत किसानों को समय पर उपज बिक्री के लिए उपस्थित होने के निर्देश दिए गए हैं ताकि उन्हें MSP का लाभ मिल सके और दलहन फसलों को प्रोत्साहन मिल सके।