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भारत में गेहूं खरीद में रिकॉर्ड उछाल, यूरोप में गिरा निर्यात: वैश्विक बाजार में नई हलचल

भारत में रबी विपणन सत्र 2025-26 के दौरान गेहूं खरीद में जबरदस्त तेजी देखी गई है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 23 अप्रैल 2025 तक देशभर में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कुल 183.91 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है, जो पिछले वर्ष की तुलना में ........

International 26 Apr
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भारत में रबी विपणन सत्र 2025-26 के दौरान गेहूं खरीद में जबरदस्त तेजी देखी गई है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 23 अप्रैल 2025 तक देशभर में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कुल 183.91 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 54.20 प्रतिशत अधिक है। वहीं, यूरोपीय संघ (EU) के सॉफ्ट गेहूं निर्यात में 34 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की गई है, जिससे वैश्विक बाजार में नई हलचल देखने को मिल रही है।

भारत में खरीद का आंकड़ा और राज्यवार प्रदर्शन:
भारतीय खाद्य निगम (FCI) के अनुसार, पंजाब (59.27 लाख टन), मध्य प्रदेश (54.09 लाख टन) और हरियाणा (56.64 लाख टन) ने अब तक गेहूं खरीद में सबसे बड़ा योगदान दिया है। राजस्थान से 8.26 लाख टन, उत्तर प्रदेश से 5.51 लाख टन और बिहार से 9,991 टन गेहूं खरीदा गया है। इसके अलावा गुजरात और हिमाचल प्रदेश से भी क्रमशः 2,553 टन और 749 टन गेहूं की खरीद हुई है।

सरकार ने इस साल 124 लाख टन पंजाब से, 75 लाख टन हरियाणा से, 60 लाख टन मध्य प्रदेश से, 30 लाख टन उत्तर प्रदेश से और 20 लाख टन राजस्थान से खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है। गौरतलब है कि व्यापारी मंडियों से MSP से ₹25-50 अधिक भाव पर भी गेहूं खरीद रहे हैं, जिससे बाजार में मजबूती बनी हुई है।

कृषि मंत्रालय के मुताबिक, फसल वर्ष 2024-25 में भारत में 1154.30 लाख टन गेहूं उत्पादन का रिकॉर्ड अनुमान है। गेहूं का बुवाई क्षेत्र भी बढ़कर 326 लाख हेक्टेयर तक पहुँच गया है, जो पिछले वर्ष के 315.6 लाख हेक्टेयर से अधिक है।

यूरोप में कमजोर निर्यात का असर:
वहीं दूसरी ओर, यूरोपीय संघ में सॉफ्ट गेहूं का निर्यात 34 प्रतिशत घटकर 1.717 करोड़ टन रह गया है, जबकि पिछले सप्ताह यह 1.667 करोड़ टन था। रोमानिया, लिथुआनिया और जर्मनी इस सीजन में प्रमुख आयातक रहे हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, ब्लैक सी क्षेत्र के सस्ते गेहूं और फ्रांस में कमजोर फसल उत्पादन के चलते यूरोप के गेहूं निर्यात पर दबाव बना है। साथ ही, कई यूरोपीय देशों जैसे इटली और फ्रांस के अद्यतन आंकड़े लंबित होने के कारण भी वास्तविक तस्वीर प्रभावित हो सकती है।

निष्कर्ष:
जहां एक ओर भारत में सरकारी खरीद से गेहूं बाजार में स्थिरता और किसानों को मजबूती मिल रही है, वहीं वैश्विक स्तर पर यूरोप के कमजोर निर्यात से आने वाले महीनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं के दामों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। भारत का घरेलू बाजार फिलहाल मजबूत स्थिति में है और निकट भविष्य में गेहूं की कीमतों में स्थिरता की उम्मीद है।

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