अमरीका और चीन के बीच लंबे समय से चल रहे टैरिफ युद्ध को लेकर अब राहत की खबर सामने आई है। दोनों देशों ने हाल ही में जेनेवा में बातचीत के बाद सीमा शुल्क में भारी कटौती करने पर सहमति जताई है। इस निर्णय से वैश्विक व्यापार, विशेष रूप से कृषि उत्पादों के आयात-निर्यात में स्थिरता आने की उम्मीद है। समझौते के अनुसार, अमरीका अब चीन से आने वाले सामानों पर आयात शुल्क 145% से घटाकर 30% करेगा, जबकि चीन अमरीकी उत्पादों पर लगने वाले शुल्क को 125% से घटाकर 10% करेगा। यह नई व्यवस्था 14 मई 2025 से लागू हो गई है और दोनों देशों ने तीन महीने के भीतर स्थायी समाधान निकालने का प्रयास करने पर भी सहमति जताई है।
बीते कुछ वर्षों में टैरिफ युद्ध ने दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर बुरा असर डाला था। चीन ने अमरीका से सोयाबीन, मक्का और गेहूं का आयात लगभग बंद कर दिया था, जिससे अप्रैल 2025 में चीन का सोयाबीन आयात पिछले दस वर्षों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। इससे दोनों देशों के व्यापार घाटे में इज़ाफा हुआ और किसानों व व्यापारियों को भी बड़ा नुकसान झेलना पड़ा।
विशेषज्ञों का मानना है कि अमरीका अब यह समझ चुका है कि केवल शुल्क बढ़ाकर चीन पर दबाव बनाना संभव नहीं है, क्योंकि चीन के पास कृषि उत्पादों के लिए कई अन्य विकल्प मौजूद हैं। चीन ब्राजील से सोयाबीन, रूस और ऑस्ट्रेलिया से गेहूं, तथा ब्राजील, अर्जेंटीना और यूक्रेन से मक्का का आयात कर सकता है। इसी तरह, मटर और मसूर के लिए भी रूस और ऑस्ट्रेलिया उसके वैकल्पिक स्रोत बन चुके हैं।
दूसरी ओर, चीन के लिए भी अमरीका एक अहम निर्यात बाजार है। ऐसे उत्पाद जिन्हें चीन अमरीका को बड़े पैमाने पर बेचता था, उनके लिए वैकल्पिक बाजार ढूंढना इतना आसान नहीं रहा। इसलिए दोनों देशों के लिए एक-दूसरे पर व्यापारिक निर्भरता बनी हुई है। यही कारण है कि व्यावसायिक समझ रखने वाले अमरीकी राष्ट्रपति को जल्दी ही इस संघर्ष की वास्तविकता समझ में आई और उन्होंने समाधान की दिशा में कदम उठाया।
अब जबकि शुल्क में कटौती लागू हो चुकी है, व्यापारिक जगत को उम्मीद है कि आने वाले महीनों में वैश्विक व्यापार में सुधार देखने को मिलेगा। किसानों, व्यापारियों, निर्यातकों और आयातकों के लिए यह निर्णय सकारात्मक साबित हो सकता है। हालांकि, आने वाले तीन महीनों में यह देखना होगा कि दोनों देश इस अस्थायी समझौते को स्थायी समाधान में बदल पाते हैं या नहीं। इस दौरान व्यापार करने वालों को सावधानीपूर्वक योजना बनानी चाहिए।