देश में दालों की कीमतें आने वाले महीनों में स्थिर रहने की संभावना है। उपभोक्ता मामलों के विभाग के अधिकारियों के अनुसार, रबी सीजन में दालों की बुवाई साल-दर-साल 14.5% बढ़कर 1.34 करोड़ हेक्टेयर पहुंच गई है और सरकार के पास लगभग 20 लाख टन का बफर स्टॉक मौजूद है। अनुकूल मौसम और मजबूत फसल संभावनाओं के चलते कीमतों में तेज बढ़ोतरी की आशंका नहीं है।
रबी दालों में चना, मसूर और उड़द की बुवाई में अच्छी बढ़त दर्ज हुई है। खरीफ फसल, निजी स्टॉक और आयात के कारण बाजार में आपूर्ति की स्थिति भी आरामदायक बनी हुई है। इसी वजह से दालों की महंगाई फरवरी 2025 से नकारात्मक दायरे में है और नवंबर 2025 में यह 15.86% की गिरावट के साथ लगातार दसवें महीने नीचे रही।
सरकार ने दालों की उपलब्धता बनाए रखने के लिए म्यांमार, मोज़ाम्बिक और मलावी के साथ ड्यूटी-फ्री आयात समझौतों (MoU) को अप्रैल 2026 से अगले पांच साल के लिए बढ़ाने का फैसला किया है। इन देशों से तुअर और उड़द का तय मात्रा में आयात जारी रहेगा। भारत अपनी कुल दाल खपत का लगभग 15–18% आयात के जरिए पूरा करता है।
आत्मनिर्भरता की दिशा में सरकार ने 2030-31 तक दालों का उत्पादन 25.68 मिलियन टन से बढ़ाकर 35 मिलियन टन करने का लक्ष्य रखा है, जिसके लिए ₹11,440 करोड़ का प्रावधान किया गया है।