पिछले सप्ताह तुवर के बाजार में मिला-जुला रुख देखने को मिला। अकोला में सोमवार को मारुति तुवर की शुरुआत ₹6950 प्रति क्विंटल पर हुई थी, और सप्ताहांत में यह ₹7000 तक पहुंच गई। दाल की मांग बरकरार रहने के चलते अकोला तुवर में ₹50 की मज़बूती दर्ज की गई।
हालांकि चेन्नई में लेमन तुवर में हल्की मजबूती देखने को मिली, लेकिन अफ्रीका और देशी तुवर में व्यापार सीमित दायरे में ही रहा। व्यापारियों और किसानों के पास अभी भी अच्छा खासा स्टॉक है, और सरकार ने भी अब तक लगभग 4.50 लाख टन तुवर का बफर स्टॉक बना लिया है।
अफ्रीका से आपूर्ति की स्थिति:
मलावी में तुवर का अनुमानित उत्पादन 75,000 टन है। वहां से ₹535 प्रति टन के ऑफर मिल रहे हैं, जो पड़तल के हिसाब से ₹4825 प्रति क्विंटल बैठते हैं। हालांकि स्थानीय मुद्रा में ऊँचे दाम के चलते निर्यात में रुकावट आ रही है, और सितंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के चलते निर्यात में और भी सुस्ती आने की संभावना जताई जा रही है।
मोज़ाम्बिक से भी तुवर का उत्पादन लगभग 4.25–4.50 लाख टन अनुमानित है, लेकिन विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार कुछ प्रमुख निर्यातकों द्वारा जानबूझकर निर्यात में देरी की जा रही है। अपुष्ट रिपोर्ट्स में कहा गया है कि दाम बढ़ने के बाद कुछ निर्यात सौदे रद्द भी किए गए हैं।
देश में बुवाई की स्थिति:
इस वर्ष कर्नाटक और गुजरात में तुवर की बोआई अपेक्षाकृत कमजोर रही है, जबकि महाराष्ट्र में स्थिति लगभग सामान्य है। बारिश की मात्रा पर्याप्त रही है और फसल की स्थिति अब तक संतोषजनक बताई जा रही है।
क्या हो सकती है बाजार की दिशा?
देश में पर्याप्त स्टॉक, सरकारी बफर और अफ्रीका से आने वाली आवक को देखते हुए तुवर में किसी बड़े तेजी की संभावना कम है। लेमन तुवर को ₹6100 पर मजबूत समर्थन मिल रहा है, इसके नीचे भाव गिरने की संभावना फिलहाल कम है। अनुमान है कि आने वाले दिनों में तुवर का बाजार ₹100-₹200 ऊपर-नीचे की रेंज में सीमित रह सकता है।