पिछले वर्ष रिकॉर्ड ख़रीदारी के बाद इस साल भारत का दाल आयात तेज़ी से घटा है। कमज़ोर मांग और अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में गिरती क़ीमतों की वजह से हाल के महीनों में आयात धीमा पड़ा है।
वाणिज्य मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, अप्रैल–अगस्त अवधि में दालों का आयात मूल्य 841.11 मिलियन डॉलर रहा, जो पिछले साल के 1.762 बिलियन डॉलर के मुकाबले 52 प्रतिशत कम है। अगस्त माह में ही आयात मूल्य 64 प्रतिशत गिरकर 114.87 मिलियन डॉलर रह गया, जबकि पिछले वर्ष यह 320 मिलियन डॉलर था।
अप्रैल–जुलाई अवधि में तूर को छोड़कर सभी प्रमुख दालों का आयात घटा। उड़द का आयात 10 प्रतिशत कम होकर 2.30 लाख टन रह गया, जबकि पिछले साल यह 2.56 लाख टन था। पीली मटर का आयात 71 प्रतिशत घटकर 2.73 लाख टन पर आ गया, जो पिछले साल 9.32 लाख टन था। इसी तरह, चना आयात 52 प्रतिशत घटकर 27,802 टन रह गया, जबकि पिछले वर्ष यह 58,487 टन था। मसूर आयात 37 प्रतिशत घटकर 1.76 लाख टन पर आ गया, जो पिछले वर्ष 2.81 लाख टन था। वहीं, तूर का आयात 6 प्रतिशत बढ़कर 2.92 लाख टन तक पहुँच गया, जो पिछले साल 2.75 लाख टन था।
आईग्रेन इंडिया के राहुल चौहान ने कहा, “पिछले वित्त वर्ष में रिकॉर्ड स्तर का आयात हुआ था। घरेलू उत्पादन के साथ मिलाकर उपलब्धता बढ़ गई थी, जबकि मांग सुस्त रही। इसी कारण आयात धीमा हुआ है। साथ ही, उत्पादक देशों में कीमतें कम होने से दालों की लैंडेड कॉस्ट भी घटी है।”
इस बीच, भारत में खरीफ दालों की बुवाई 12 सितंबर तक मामूली बढ़त के साथ 118 लाख हेक्टेयर रही, जो पिछले साल 117.25 लाख हेक्टेयर थी। हालांकि, अगस्त और सितंबर में हुई अधिक वर्षा से मूंग और उड़द जैसी फसलों पर प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना है।