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गेहूँ बाजार की साप्ताहिक समीक्षा: कीमतों में तेजी जारी!

पिछले सप्ताह की शुरुआत में सोमवार को दिल्ली गेहूँ 3050/75 रुपये प्रति क्विंटल पर खुला था और शनिवार शाम को यह 3075/3100 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। बीते सप्ताह के दौरान गेहूँ की मांग बनी रहने के कारण 25 रुपये प्रति क्विंटल की मजबूती दर्ज की गई।

Agriculture 10 Mar
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पिछले सप्ताह की शुरुआत में सोमवार को दिल्ली गेहूँ 3050/75 रुपये प्रति क्विंटल पर खुला था और शनिवार शाम को यह 3075/3100 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। बीते सप्ताह के दौरान गेहूँ की मांग बनी रहने के कारण 25 रुपये प्रति क्विंटल की मजबूती दर्ज की गई।

📌 OMSS गेहूँ टेंडर रिपोर्ट 📌

सरकार ने खुले बाजार में गेहूँ बेचने की योजना को तीन महीने तक संचालित किया। इन तीन महीनों में सरकार ने कुल 30 लाख टन गेहूँ की बिक्री की। दिसंबर में 1 लाख टन से शुरू हुई बिक्री फरवरी के अंतिम सप्ताह और मार्च के पहले सप्ताह में बढ़ाकर 5 लाख टन कर दी गई। सरकार ने HT कनेक्शन वाले मिलर्स की बिडिंग सीमा 100 टन से बढ़ाकर 400 टन कर दी, लेकिन LT कनेक्शन वाले मिलर्स की बिडिंग सीमा में संतोषजनक वृद्धि नहीं हुई। टेंडर प्रक्रिया के दौरान गेहूँ के भाव में कोई विशेष अंतर नहीं देखा गया।

📊 बाजार की स्थिति 📊

कुल 14 टेंडर होने के बावजूद उत्तर प्रदेश के बाजार में भाव कमजोर नहीं हुए। टेंडर प्रक्रिया के दौरान ही उत्तर प्रदेश के अधिकांश बाजारों में गेहूँ के भाव 150-200 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ गए। बाजार में आवक न होने के कारण भाव में मजबूती बनी हुई है। उत्तर प्रदेश की मंडियों और बाजारों में नए गेहूँ की आवक में अभी लगभग 15-20 दिन का समय और बाकी है। नए माल की आवक से पहले भाव में और वृद्धि देखने को मिल सकती है। यही स्थिति पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और बिहार में भी बनी रही। गेहूँ के भाव में गिरावट केवल नए माल की अधिक मात्रा में आवक होने पर ही संभव होगी।

📉 गुजरात एवं मध्यप्रदेश की स्थिति 📉

गुजरात में टेंडर के दौरान भाव कमजोर नहीं हुए। फरवरी के अंतिम सप्ताह से गुजरात और मध्यप्रदेश की मंडियों में गेहूँ की आवक शुरू हुई। मध्यप्रदेश के बाजारों में होली के बाद आवक की मात्रा बढ़ेगी। जैसे-जैसे मंडियों में आवक बढ़ेगी, भाव में गिरावट देखने को मिल सकती है।

🔍 विश्लेषण एवं दृष्टिकोण 🔍

सरकार इस बार भी खरीद सीजन के दौरान कुछ ऐसे कदम उठा सकती है, जिससे व्यापारी और मिलर्स गेहूँ की खरीद पर पुनर्विचार करें। पूरे भारत में गेहूँ की पाइपलाइन लगभग खाली है, जिससे शुरुआती दौर में ट्रेडर, स्टॉकिस्ट और बड़ी कंपनियों की मांग अधिक रहने की संभावना है। इस बढ़ती मांग का असर सरकारी खरीद पर पड़ सकता है।

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