गुरुवार को दिल्ली चना बाजार में हल्की गिरावट देखने को मिली, जो पिछले दिनों की मजबूत तेजी के बाद आई मुनाफावसूली का नतीजा रही। दिल्ली में चना लगभग ₹50 टूटकर ₹6400 प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सुबह से ही ऊंचे भाव पर खरीदारी कमजोर रही, जिससे कारोबार के अंतिम सत्र में दबाव बढ़ा।
व्यापारिक सूत्रों के अनुसार, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे प्रमुख राज्यों के बाजारों में भी मुनाफावसूली देखने को मिल रही है। अधिकांश व्यापारियों ने ऊंचे भाव पर सौदे काटे, जिससे दबाव बना।
हालांकि, तकनीकी रूप से ₹6200 का स्तर अब एक मजबूत समर्थन के रूप में उभरकर सामने आ रहा है। जानकारों का मानना है कि यदि भाव इस स्तर से नीचे नहीं जाते हैं, तो यह गिरावट एक सामान्य और स्वस्थ "करेक्शन" मानी जा सकती है, न कि रुझान में बदलाव।
आयात की संभावना फिलहाल सीमित है। अक्टूबर-नवंबर में आने वाले ऑस्ट्रेलियाई चने की संभावित कीमत डॉलर के हिसाब से ₹6050 प्रति क्विंटल आंकी जा रही है। दिल्ली तक भाड़ा जोड़ने पर इसकी कीमत ₹6300 तक पहुंचती है, जो वर्तमान बाजार दर के आस-पास ही है। ऐसे में फिलहाल विदेशी माल पर व्यापारिक रुचि कमजोर मानी जा रही है।
रायपुर जैसे प्रमुख केंद्रों में भी चना बाजार सुस्त जरूर रहा, लेकिन निचले भाव पर बिकवाल कमजोर दिखाई दिए। इससे संकेत मिलता है कि कारोबारी अब भी चने में मौलिक मजबूती देख रहे हैं।
बाजार के विशेषज्ञों का कहना है कि अगले सप्ताह के पहले दो कारोबारी दिन – सोमवार और मंगलवार – चना के भावों की अगली दिशा तय करने में महत्वपूर्ण रहेंगे।
ट्रेडर्स और कारोबारियों के लिए यह समय सावधानी के साथ निर्णय लेने का है, क्योंकि चना बाजार में हलचल के बावजूद बुनियादी समर्थन अब भी मजबूत नजर आ रहा है।