सरसों के बाजार में फिलहाल भाव स्थिर से लेकर सीमित तेजी की स्थिति बनी हुई है, लेकिन मांग का स्तर मजबूत बना हुआ है। मंडियों में आवक धीरे-धीरे सामान्य हो रही है, जिससे सप्लाई का दबाव नहीं है और व्यापारियों की रुचि भी बनी हुई है। राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय मंडियों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, सरसों की कीमतें अभी भी किसानों के लिए संतोषजनक स्तर पर हैं, हालांकि बड़ी तेजी के संकेत कमज़ोर हैं।
राजस्थान की लाडनू मंडी में सरसों ₹5950 प्रति क्विंटल तक बिकी, जबकि कुछ क्षेत्रों में भाव ₹5700 से ₹5850 के बीच दर्ज हुए। अलवर, भरतपुर, सीकर व श्रीगंगानगर सहित प्रमुख मंडियों में आवक स्थिर है और मांग स्थायी बनी हुई है। मध्य प्रदेश की मंडियों में भी सरसों की स्थिति बेहतर बनी हुई है। नरसिंहगढ़, बीनागंज, इंदौर जैसे केंद्रों पर व्यापारियों की सक्रियता बनी हुई है।
तेल मिलों की ओर से सरसों की खरीद में रुचि बनी हुई है, हालांकि मिलिंग प्रॉफिट सीमित होने से उनकी खरीदारी रफ्तार में नहीं है। एक्सपेलर एवं कच्चे तेल की मांग बरकरार है, लेकिन तेल की कीमतें अपेक्षाकृत नरम रुख दिखा रही हैं। दिल्ली में सरसों कच्चे तेल का थोक भाव ₹980-990 प्रति 10 किलो के आसपास रहा, जबकि लूज तेल का भाव ₹950 से ₹970 के बीच कारोबार करता रहा। ब्रांडेड बोतल के दाम ₹1040-1060 तक रहे, जिससे रिटेल डिमांड में कोई बड़ा बदलाव नहीं दिखा।
आयातित तेलों में भी हल्का दबाव देखने को मिला है। पाम, सोया और सूरजमुखी के तेलों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में नरमी का रुख कायम है, जिससे घरेलू बाजार में सरसों को भी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। इसके बावजूद, गुणवत्ता और स्वाद के आधार पर सरसों तेल की मांग स्थिर बनी हुई है।
बाजार विशेषज्ञों की मानें तो आने वाले दिनों में सरसों की कीमतों में किसी भी तरह की बड़ी तेजी तब तक संभव नहीं है जब तक मिलों की खरीद में तीव्रता नहीं आती या अंतरराष्ट्रीय तेल बाजारों में मजबूत रिकवरी नहीं होती। वर्तमान में व्यापारी सतर्क होकर सीमित स्टॉक ही रख रहे हैं।
कुल मिलाकर, सरसों का बाजार स्थिर लेकिन भरोसेमंद स्थिति में है, जहाँ मांग मजबूत है लेकिन कीमतों में उछाल की संभावना सीमित दिख रही है।