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दिसंबर में मक्का बाज़ार की संभावित चाल

मौजूदा गिरावट के बीच बाज़ार के लिए एक सकारात्मक संकेत सामने आया है। भारत ने अमेरिका के साथ चल रही व्यापार वार्ता में यह स्पष्ट कर दिया है कि सोयाबीन, मक्का और कपास जैसे संवेदनशील कृषि उत्पादों का आयात नहीं किया जाएगा। प्रधानमंत्री कार्यालय स्तर से मिले इस संकेत को घरेलू कृषि बाज़ार के लिए अहम माना जा रहा है, क्योंकि इससे पिछले कुछ महीनों से आयात को लेकर बना असमंजस अब काफी ह.....

Opinion 2:18 PM
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किसान और व्यापारी भाइयों, पिछले 15 दिनों में मक्का के बाज़ार में ₹200–₹300 प्रति क्विंटल की तेज़ी देखने को मिली थी। बढ़े हुए भावों को देखते हुए किसानों ने मंडियों में अधिक मात्रा में माल लाना शुरू किया, जिससे आवक का दबाव बढ़ा और परिणामस्वरूप इस सप्ताह कीमतों में ₹50–₹75 प्रति क्विंटल की नरमी दर्ज की गई। महाराष्ट्र की सांगली मंडी में मक्का ₹50 टूटकर ₹2100 प्रति क्विंटल पर आ गया, जबकि मध्य प्रदेश के तिरुपति स्टार्च प्लांट पर भाव ₹50 घटकर ₹1800 रहे। गुजरात की दाहोद मंडी में सबसे अधिक गिरावट रही, जहाँ कीमतें ₹75 टूटकर ₹1775 पर पहुँचीं। वहीं राजस्थान की जोधपुर मंडी में मामूली ₹30 की गिरावट के साथ भाव ₹2020 प्रति क्विंटल दर्ज किए गए।

मौजूदा गिरावट के बीच बाज़ार के लिए एक सकारात्मक संकेत सामने आया है। भारत ने अमेरिका के साथ चल रही व्यापार वार्ता में यह स्पष्ट कर दिया है कि सोयाबीन, मक्का और कपास जैसे संवेदनशील कृषि उत्पादों का आयात नहीं किया जाएगा। प्रधानमंत्री कार्यालय स्तर से मिले इस संकेत को घरेलू कृषि बाज़ार के लिए अहम माना जा रहा है, क्योंकि इससे पिछले कुछ महीनों से आयात को लेकर बना असमंजस अब काफी हद तक समाप्त हो गया है और बाज़ार को भावनात्मक सहारा मिला है।

इसके साथ ही मक्का के निर्यात मोर्चे पर भी स्थिति उत्साहजनक बनी हुई है। बांग्लादेश, श्रीलंका और वियतनाम जैसे देशों से अच्छी मांग की खबरें मिल रही हैं, जो घरेलू कीमतों को समर्थन दे रही हैं। कुल मिलाकर, दिसंबर महीने के शेष दिनों में मक्का के भावों में न तो किसी बड़ी तेज़ी की संभावना दिखती है और न ही बड़ी गिरावट के संकेत हैं। हालांकि, मौजूदा दबाव में ₹50–₹60 प्रति क्विंटल की और नरमी से इंकार नहीं किया जा सकता।

हमारा आकलन है कि यह गिरावट जल्द ही थम सकती है और महीने के अंत तक बाज़ार स्थिर होता दिखाई देगा। इसके बाद यदि आवक में कमी आती है और मांग में सुधार होता है, तो मक्का के भावों में सीमित तेज़ी देखने को मिल सकती है।

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