राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हाल के दिनों में आम उपभोक्ताओं की रसोई पर महंगाई का दबाव साफ देखा जा सकता है। थोक मंडियों में आपूर्ति की रफ्तार धीमी होने और अचानक बढ़ी मांग के चलते आटा, दाल और खाद्य तेल जैसी आवश्यक वस्तुओं के दाम में तीव्र बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। कई दालों के थोक भाव में ₹10 से अधिक प्रति किलो की उछाल आई है, वहीं ब्रांडेड तेल एवं वनस्पति घी के निर्माता कंपनियों ने नए ऑर्डर की सप्लाई रोक दी है। इस आपूर्ति संकट के कारण स्थानीय फ्लोर मिलर्स भी नए ऑर्डर लेने से बच रहे हैं।
फ्लोर मिल्स ने गेहूं उत्पादों के दाम में ₹4 प्रति किलो तक बढ़ोतरी कर दी है। दिल्ली की मंडियों में राजमा ₹118 से बढ़कर ₹132 प्रति किलो और अरहर दाल के भाव भी इसी अनुपात में बढ़े हैं। साथ ही रिफाइंड तेल, सरसों तेल और वनस्पति घी के खुदरा भाव में ₹10 प्रति लीटर की बढ़त देखी गई है। 10 किलो आटे की पैकिंग अब ₹290 से बढ़कर ₹320 में बिक रही है।
मजदूरों की भारी कमी (25% तक की गिरावट), परिवहन खर्च में इजाफा और युद्धोत्तर हालातों की अस्थिरता ने इस संकट को और गहरा किया है। दिल्ली की प्रमुख मंडियों – मजीठा मंडी, आटा मंडी और ढाब मंडी – में लोडिंग-अनलोडिंग कार्य में दिक्कतें सामने आ रही हैं।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार भारत-पाक तनाव की पृष्ठभूमि में उपभोक्ताओं द्वारा जरूरी वस्तुओं की घबराहट में की जा रही खरीददारी से मांग का दबाव असामान्य रूप से बढ़ा है। थोक मंडियों में गेहूं और सरसों की आवक सामान्य है और प्रोसेसर्स द्वारा अच्छी खरीदारी भी हो रही है, फिर भी डिलीवरी सुस्त पड़ी है। जैसे ही हालात सामान्य होंगे, मांग घटेगी और कीमतों में भी स्थिरता की उम्मीद की जा सकती है।