अगले दो हफ्तों में तूर के भावों में हल्की उठापटक के साथ कुल मिलाकर सॉफ्ट से रेंज-बाउंड रुझान बने रहने की संभावना अधिक दिख रही है। नई फसल की बढ़ती आवक, सस्ते इम्पोर्ट और फिलहाल सीमित मिलर डिमांड के कारण ऊपरी स्तरों पर तुरंत सप्लाई और प्रॉफिट बुकिंग का दबाव बनता रहेगा। ट्रेड बॉडी और स्पॉट मार्केट रिपोर्ट के अनुसार नई तूर कई प्रमुख मंडियों में लगभग ₹6300–₹6800 प्रति क्विंटल के दायरे में ट्रेड कर रही है, और निकट अवधि में यही रेंज बाजार का मुख्य आधार बनी रह सकती है।
कर्नाटक में कटाई तेज़ है और महाराष्ट्र के जालना, लातूर व अकोला बेल्ट में अगले 15–20 दिनों में आवक और बढ़ने की उम्मीद है, जिससे सप्लाई साइड से भावों पर दबाव बना रह सकता है। सस्ते अफ्रीकी ओरिजिन की इम्पोर्टेड तूर और संभावित सरकारी स्टॉक रिलीज़ के चलते मिलर्स आक्रामक खरीद से बचते हुए हैं और अधिकतर हैंड-टू-माउथ रणनीति अपना रहे हैं। प्रीमियम क्वालिटी या कुछ दिनों की कम/लो-क्वालिटी आवक में ₹100–₹200 प्रति क्विंटल की अस्थायी स्पाइक दिख सकती है, लेकिन ₹8000 प्रति क्विंटल के आसपास MSP के कारण मजबूत रेजिस्टेंस बनने की संभावना है।
यदि किसी दिन नई तूर की क्वालिटी कमजोर रहती है या आवक घटती है, तो पुराने तूर में शॉर्ट कवरिंग से ₹150–₹200 प्रति क्विंटल तक की टेम्पररी रिकवरी संभव है, हालांकि बेसिक ट्रेंड सॉफ्ट से स्टेबल ही रहने की उम्मीद है। बाजार की दिशा में बड़ा बदलाव तभी आएगा जब नई तूर की सरकारी खरीद समय पर और आक्रामक रूप से शुरू हो; ऐसी स्थिति में खुले बाजार पर दबाव घट सकता है और तेजी को सहारा मिल सकता है। इसके उलट, अगर आवक उम्मीद से ज्यादा बढ़ी और इम्पोर्ट में कोई बड़ी कटौती नहीं हुई, तो रेंज के निचले सिरे यानी ₹6300 के आसपास भावों का दो हफ्तों में एक–दो बार टेस्ट होना संभव है। कुल मिलाकर फिलहाल लंबी तेजी या बड़ी गिरावट के संकेत कमजोर हैं और बाजार सीमित दायरे में बने रहने की संभावना है।