काबुली चना बाजार में एक बार फिर मजबूती के संकेत सामने आ रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भाव पहले से ही ऊंचे बने हुए हैं और घरेलू स्तर पर भी सप्लाई की स्थिति अनुमान से कमजोर नजर आ रही है। कर्नाटक जैसे प्रमुख राज्य में स्टॉक की उपलब्धता उतनी नहीं है जितनी कारोबारी उम्मीद कर रहे थे। इससे पहले पिछले डेढ़ महीने से बाजारों में रुपए की तंगी और ग्राहकी की कमजोरी के चलते स्टॉक में कटिंग का दौर चला, लेकिन अब अधिकांश छोटे कारोबारियों का माल बिक चुका है। इस स्थिति में बाजार में ₹10–₹15 प्रति किलो की और तेजी की संभावना जताई जा रही है।
दूसरी ओर, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कई महत्वपूर्ण संकेत मिल रहे हैं। मिस्र सहित कई उत्पादक देशों में राजनीतिक अस्थिरता के कारण काबुली चना स्टॉक तेजी से समाप्त हो चुका है। भारत में भी चालू महीने की शुरुआत से निर्यात में वृद्धि दर्ज की गई है, साथ ही सरकारी टेंडरों में भी माल की अच्छी खपत हो रही है। हालांकि इस साल काबुली चना उत्पादन लगभग 30–31 लाख मीट्रिक टन रहा है, जो पिछले वर्ष के बराबर है, लेकिन ऊंचे निर्यात भावों ने बाजार को मजबूती दी है।
पिछले 15 दिनों से निर्यात के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनी हुई हैं, वहीं घरेलू मांग भी अच्छी बनी हुई है। खास बात यह है कि कमजोर ग्राहकी और सन्नाटे के बावजूद बाजार धीरे-धीरे चढ़ता जा रहा है। बुल्गारिया में भी ऊंचे भाव चल रहे हैं, जबकि जॉर्डन, तुर्की, सीरिया और ईरान जैसे देशों में काबुली चना की उपलब्धता सीमित है। कनाडा से आने वाला मीडियम माल भी इस बार अपेक्षा से कम है।
इन तमाम अंतरराष्ट्रीय और घरेलू परिस्थितियों को देखते हुए यह तय माना जा रहा है कि जब भी बाजार में वास्तविक खरीदी शुरू होगी, तो काबुली चना के भाव में ₹10–₹15 प्रति किलो की और तेजी आ सकती है।