देश के प्रमुख बाजारों में चना और मटर की कीमतों में स्थिरता बनी हुई है, हालांकि मांग में नरमी और सीमित खरीदारी के चलते कीमतों में तेज़ी टिक नहीं पा रही है। व्यापारियों के अनुसार दाल मिलर्स केवल आवश्यकतानुसार ही चना खरीद रहे हैं। ऐसे में स्टॉकिस्ट जब भी दाम बढ़ाने की कोशिश करते हैं, मांग के अभाव में तेजी लंबे समय तक बनी नहीं रह पाती।
चना बाज़ार की स्थिति:
देश के विभिन्न बाज़ारों में चना की कीमतों में अधिकतर स्थिरता देखी गई है, हालांकि नागपुर में देसी चना ₹50 प्रति क्विंटल बढ़कर ₹6000/6100 हो गया। वहीं सोलापुर मिल क्वालिटी चना भी ₹50 बढ़कर ₹5500/5850 पहुंच गया। दिल्ली, इंदौर, जयपुर, हैदराबाद, लातूर और रायपुर सहित अन्य प्रमुख केंद्रों पर कीमतें स्थिर बनी हुई हैं।
वर्तमान में कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में चना की आवक पहले की तुलना में कम हो गई है। हालांकि मध्य प्रदेश और राजस्थान में आवक बनी रहने की संभावना है। इसके बावजूद, एमएसपी पर चना की सरकारी खरीद सीमित ही रही है, जिससे बाजार को मजबूत समर्थन नहीं मिल पा रहा है। चालू रबी सीजन में उत्पादन अनुमान भी अपेक्षाकृत कम बताया जा रहा है।
दूसरी ओर, ऑस्ट्रेलिया से आयातित चना का बड़ा स्टॉक देश के बंदरगाहों पर पड़ा हुआ है और वहां उत्पादन बढ़ने की संभावना है, जिससे यह संभावना और कम हो गई है कि आयातित चना में कोई बड़ी तेजी देखने को मिलेगी।
मटर बाज़ार की स्थिति:
मटर बाजार में भी कीमतें स्थिर बनी हुई हैं। कोलकाता में कनाडा और रूस से आयातित मटर ₹50 बढ़कर क्रमशः ₹3800/3850 और ₹3700/3750 हो गए। अन्य बाजारों—मुंबई, हजीरा और मुंद्रा—में कोई बड़ा बदलाव नहीं देखा गया।
स्थानीय बाजारों में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के मंडियों में सफेद और हरे मटर की आवक बनी हुई है। उदाहरण के लिए, ललितपुर, जालौन, महोबा, ओराई, बीना, दमोह और खुरई जैसे केंद्रों में हरे मटर की कीमतें ₹7000 से ₹10000 प्रति 50 किलोग्राम के बीच रही हैं। हालांकि, खपत सीमित बनी हुई है, जिससे व्यापारी जरुरत अनुसार ही खरीदारी कर रहे हैं।
निष्कर्ष:
चना और मटर दोनों ही दलहन वर्तमान में एक सीमित दायरे में कारोबार कर रहे हैं। बाजार में मांग की स्पष्ट दिशा नहीं बन पाने के कारण कीमतों में स्थिरता बनी हुई है। आने वाले दिनों में यदि दाल मिलों से मांग बढ़ती है या सरकारी खरीद में गति आती है, तो कीमतों में तेजी देखी जा सकती है। अन्यथा, भारी स्टॉक और धीमी मांग के चलते बड़े उतार-चढ़ाव की संभावना फिलहाल कम है।