केंद्र सरकार ने पहले ही यह घोषणा की थी कि केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक प्रचुर मात्रा में पड़ा हुआ है, बावजूद इसके खुले बाजार में गेहूं की बिक्री में विलंब हुआ। इसके अतिरिक्त, समयानुसार टेंडर में गेहूं की बिक्री की क्वांटिटी नहीं बढ़ाई गई थी।
हालांकि, गेहूं की नई फसल आने में अभी तीन महीने से अधिक का समय लगेगा, जिससे देश की मंडियों में गेहूं की भारी मांग बनी हुई है। इस स्थिति को देखते हुए सरकार ने दिल्ली में गेहूं की बिक्री को हाल ही में थोड़ा बढ़ाकर 5500 टन कर दिया था।
इसी बीच, गेहूं की महंगाई को बढ़ते हुए देखकर 15 जनवरी को हुए टेंडर से 1000 टन और बढ़ाकर अब इसकी बिक्री 6500 टन कर दी गई है।
इसके अलावा, भारतीय खाद्य निगम द्वारा ओएमएसएस के तहत साप्ताहिक बिक्री में एक लाख मेट्रिक टन गेहूं की बिक्री की योजना थी, जिसे अब बढ़ाकर डेढ़ लाख टन कर दिया गया है।
राज्यवार गेहूं की बिक्री का वितरण:
- पंजाब: 24000 टन
- उत्तर प्रदेश: 19000 टन
- राजस्थान और हरियाणा: 8500-8500 टन
- गुजरात और पश्चिम बंगाल: 8000-8000 टन
इन सभी राज्यों में गेहूं की बिक्री का कोटा बढ़ा दिया गया है, जिसमें हरियाणा में सबसे ज्यादा वृद्धि देखने को मिली है। इस वृद्धि के कारण दिल्ली एनसीआर के टेम्परेरी बाजार में गेहूं का भाव 125-130 रुपए प्रति क्विंटल तक लुढ़क गया है।
आगे की स्थिति:
विशेषज्ञों का मानना है कि गेहूं की बिजाई चौतरफा जोरदार तरीके से की गई है और फसल भी अनुकूल दिखाई दे रही है, जिससे आगामी फसल का अनुमान 1160-1165 लाख मीट्रिक टन के बीच है।
हालांकि, नए गेहूं की फसल आने में तीन महीने से पहले कोई संभावना नहीं है, इसलिए सरकार को आगामी तीन महीनों तक क्वांटिटी में 50,000 टन साप्ताहिक टेंडर की बिक्री और बढ़ानी चाहिए।