भारत में गेहूं की मौजूदा खरीफ सीजन में न सिर्फ उत्पादन बल्कि सरकारी खरीद में भी उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला है। ताज़ा रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस वर्ष गेहूं का उत्पादन लगभग 1160 लाख मीट्रिक टन रहने का अनुमान है। वहीं, सरकार ने 24 अप्रैल 2025 तक 198.6 लाख टन गेहूं की खरीद पहले ही पूरी कर ली है, जो कि पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 46% अधिक है।
मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में इस वर्ष सरकार ने किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए MSP ₹2425 प्रति क्विंटल के साथ ₹175 (म.प्र.) और ₹150 (राजस्थान) बोनस देना शुरू किया है। इससे दोनों राज्यों की मंडियों में गेहूं की बिक्री में मजबूती देखी जा रही है और बाजार ₹2650/2660 प्रति क्विंटल के स्तर पर स्थिर बना हुआ है। छिंदवाड़ा, मुलताई, और लिंगा जैसी लाइनों में स्टॉकिस्टों की खरीदी बढ़ने से भाव में टिकाव आया है।
हालांकि हरियाणा और पंजाब में आने वाले दिनों में नई फसल की भारी आवक के चलते वहां की मंडियों में 40-50 रुपए प्रति क्विंटल तक की नरमी देखी जा सकती है, लेकिन दिल्ली लाइन में आवक अब भी सीमित है जिससे कीमतें स्थिर बनी हुई हैं।
वहीं, सरकार की प्राथमिकता अब भी बफर स्टॉक को भरने की है। केंद्र सरकार का उद्देश्य है कि जरूरत पड़ने पर खुले बाज़ार में 6 से 7 मिलियन टन गेहूं की बिक्री की जा सके। बीते वर्ष की तुलना में इस वर्ष 31.3 मिलियन टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा गया है। इससे पहले 2021-22 में सरकार ने रिकॉर्ड 43.34 मिलियन टन गेहूं की खरीद की थी।
इसके बावजूद, सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि इस साल खरीद लक्ष्य से अधिक भी हो जाती है, तो भी निर्यात की अनुमति नहीं दी जाएगी। मई 2022 से गेहूं पर लगा निर्यात प्रतिबंध अब भी प्रभावी है, क्योंकि सरकार की प्राथमिकता है राशन दुकानों के माध्यम से सामान्य आवंटन बहाल करना और कीमतों पर नियंत्रण बनाए रखना।
ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के अंतर्गत 2024-25 में अब तक लगभग 30 लाख टन गेहूं खुले बाजार में बेचा गया, जबकि 2023-24 में यह आंकड़ा 100 लाख टन से अधिक था।
निष्कर्षतः, सरकार की सख्ती, रिकॉर्ड उत्पादन, बोनस के साथ MSP पर खरीद और स्टॉकिस्टों की सक्रियता – सभी कारकों के चलते फिलहाल गेहूं में बड़ी गिरावट की संभावना नहीं है, बल्कि आने वाले समय में स्थिरता बनी रहने की उम्मीद है।