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दलहन स्टॉक अपलोड नीति हटाने की मांग तेज़ – दिल्ली ग्रेन मर्चेंट एसोसिएशन ने सरकार से किया आग्रह

दलहन व्यापार से जुड़े देश के प्रमुख व्यापारिक संगठन दिल्ली ग्रेन मर्चेंट एसोसिएशन (DGMA) ने केंद्र सरकार से एक महत्वपूर्ण मांग उठाई है। एसोसिएशन ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह दलहनों के स्टॉक की अनिवार्य ऑनलाइन रिपोर्टिंग नीति को समाप्त करे, जिसे पिछले वर्ष दलहन के दामों में असाधारण तेजी के चलते.......

Business 15 Jul
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दलहन व्यापार से जुड़े देश के प्रमुख व्यापारिक संगठन दिल्ली ग्रेन मर्चेंट एसोसिएशन (DGMA) ने केंद्र सरकार से एक महत्वपूर्ण मांग उठाई है। एसोसिएशन ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह दलहनों के स्टॉक की अनिवार्य ऑनलाइन रिपोर्टिंग नीति को समाप्त करे, जिसे पिछले वर्ष दलहन के दामों में असाधारण तेजी के चलते लागू किया गया था।

एसोसिएशन का कहना है कि जब सरकार ने यह नीति लागू की थी, उस समय चना, अरहर (तुअर) जैसी प्रमुख दालों के भाव लगातार MSP से काफी ऊपर चल रहे थे और बाजार में जमाखोरी की आशंका बढ़ रही थी। इसलिए व्यापारियों, मिलर्स और स्टॉकिस्ट्स को बाध्य किया गया कि वे नियमित रूप से सरकार के पोर्टल पर अपने गोदामों में रखे स्टॉक का ब्यौरा दर्ज करें, जिससे ट्रांसपेरेंसी बनी रहे और काला बाज़ारी रोकी जा सके।

लेकिन आज के हालात पहले जैसे नहीं हैं। पिछले कई महीनों से देश में दालों की कीमतों में भारी गिरावट देखी जा रही है। चना, तुअर, मसूर और उड़द जैसे प्रमुख दलहन अब MSP से नीचे बिक रहे हैं, जिससे किसानों को उनकी उपज की सही कीमत नहीं मिल पा रही। दूसरी तरफ, सरकारी एजेंसियों के पास पर्याप्त भंडार मौजूद है और बाजार में आपूर्ति सामान्य बनी हुई है।

दिल्ली ग्रेन मर्चेंट एसोसिएशन का कहना है कि ऐसे हालात में भी जब व्यापारियों को रोज़ाना अपने स्टॉक की जानकारी पोर्टल पर डालने को मजबूर किया जाता है, तो इससे वे मानसिक तनाव में रहते हैं और व्यापार करने में असुविधा महसूस करते हैं।

एसोसिएशन ने सरकार से अपील करते हुए कहा कि यदि सरकार वास्तव में व्यापार और उद्योग को सहयोग देना चाहती है, तो उसे ऐसी नीतियों की समीक्षा करनी चाहिए जो अब अप्रासंगिक हो चुकी हैं। व्यापारियों का तर्क है कि जब दालों के दाम MSP से नीचे चल रहे हैं और जमाखोरी की कोई संभावना नहीं है, तो इस नियम को जारी रखना केवल एक अनावश्यक प्रशासनिक दबाव बनकर रह गया है।

इसके साथ ही, एसोसिएशन ने यह भी कहा कि दालों की वर्तमान कीमतों ने किसानों की आय पर भी असर डाला है, और बाजार में मांग-सप्लाई संतुलन बना हुआ है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह व्यापारिक गतिविधियों को सरल और सहज बनाने की दिशा में कदम उठाए।
दलहन व्यापारियों की यह मांग अब ज़मीनी हकीकत पर आधारित है, क्योंकि वर्तमान में कोई ऐसी परिस्थिति नहीं है जो स्टॉक अपलोड नीति को अनिवार्य बनाए रखे। अब देखने वाली बात यह होगी कि केंद्र सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है और व्यापारिक संगठनों की इस अपील पर क्या प्रतिक्रिया देती है।

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