पिछले सप्ताह जयपुर सरसों बाजार में हल्की गिरावट दर्ज की गई। सोमवार को सरसों 6550 रुपये प्रति क्विंटल पर खुला और शनिवार को 6500 रुपये पर बंद हुआ, जिससे -50 रुपये की गिरावट देखी गई। कमजोर मांग, सामान्य सप्लाई और पक्के माल में दबाव के कारण बाजार कमजोर बना रहा। हालांकि, सप्ताह के अंत में तेल के दामों में सुधार से सरसों में भी हल्की तेजी दर्ज की गई।
नाफेड का स्टॉक और बिक्री:
नाफेड ने बीते सप्ताह लगभग 34,000 टन सरसों बेचा, जो पिछले सप्ताह की 32,000 टन बिक्री से अधिक है। अब तक नाफेड 10 लाख टन से ज्यादा सरसों बेच चुका है। सरकारी एजेंसियों के पास अभी भी 13-14 लाख टन सरसों का स्टॉक उपलब्ध होने का अनुमान है।
फसल उत्पादन और क्वालिटी पर चिंता:
नई फसल के आने से पहले वर्तमान स्टॉक पर्याप्त है, लेकिन गुणवत्ता को लेकर सवाल बने हुए हैं। राजस्थान और गुजरात जैसे प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में कमजोर बुवाई और मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों (वर्षा की कमी और सामान्य से अधिक तापमान) के कारण उत्पादन घटने की संभावना है।
तकनीकी विश्लेषण और बाजार का भविष्य:
कच्ची घानी सरसों तेल फिलहाल 1300 रुपये के सपोर्ट के करीब है, जहां से रिकवरी संभव है। जयपुर सरसों अपने सपोर्ट 6525 रुपये पर बंद हुआ। यदि यह स्तर टूटता है, तो दाम 6275 रुपये तक गिर सकते हैं। हालांकि, सपोर्ट के करीब होने से अस्थायी सुधार की उम्मीद बनी हुई है।
सरसों बाजार का बॉटम मार्च से मई के बीच बनने की संभावना है, जिसके बाद कीमतों में मजबूती आने की उम्मीद है। बाजार पर नजर बनाए रखना जरूरी है, क्योंकि लंबे समय में सरसों में फिर से तेजी देखने को मिल सकती है।