केंद्र सरकार ने खुले बाजारकेंद्र सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना (OMSS) के तहत भारतीय खाद्य निगम (FCI) के स्टॉक से मिलर्स और प्रोसेसर्स को गेहूं बेचने का निर्णय लिया है और इसका न्यूनतम आरक्षित मूल्य भी घोषित कर दिया गया है। हालांकि अभी तक न तो स्टॉक का आवंटन हुआ है, न ही प्रति खरीदार अधिकतम खरीद सीमा तय की गई है और न ही साप्ताहिक ई-नीलामी की तारीख घोषित की गई है, लेकिन गेहूं का रिज़र्व प्राइस तय कर दिया गया है।
इस योजना के तहत गेहूं का आरक्षित मूल्य ₹2550 प्रति क्विंटल रखा गया है, जो न्यूनतम समर्थन मूल्य ₹2425 से ₹125 अधिक है। इसके अतिरिक्त खरीदारों को परिवहन लागत का भी भुगतान करना होगा। वर्तमान में घरेलू थोक मंडियों में गेहूं के भाव इसी स्तर पर हैं और फ्लोर मिलर्स व प्रोसेसर्स के पास अप्रैल-मई में किसानों से खरीदा गया पर्याप्त स्टॉक पहले से मौजूद है। ऐसे में ₹2550 का गेहूं और उस पर अतिरिक्त ट्रांसपोर्ट खर्च उन्हें ज्यादा आकर्षक नहीं लग सकता। हालांकि, दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में, जहां स्थानीय उत्पादन कम है, वहां इसकी मांग हो सकती है।
गौर करने वाली बात यह है कि सरकार ने केवल आरक्षित मूल्य घोषित किया है, जबकि ई-नीलामी के दौरान बोली इससे अधिक पर भी लग सकती है। इसके अलावा पंजाब या मध्य प्रदेश के गोदामों से बेंगलुरु या चेन्नई तक की ढुलाई लागत भी अतिरिक्त होगी। पिछली बार FAQ और URS गेहूं के लिए अलग-अलग मूल्य तय किए गए थे, लेकिन इस बार एक समान मूल्य रखा गया है।
दिलचस्प बात यह है कि NAFED, NCCF और केंद्रीय भंडार जैसी सरकारी एजेंसियों को भी यही मूल्य—₹2550 प्रति क्विंटल—पर गेहूं मिलेगा, जो भारत ब्रांड के तहत आटा बेचती हैं। सामुदायिक रसोई योजनाओं में भी यही दर लागू की गई है। इससे साफ संकेत मिलता है कि सरकार इस बार गेहूं को सब्सिडी में बेचने के मूड में नहीं है और बाजार में भाव को एक निश्चित स्तर पर बनाए रखना चाहती है।