स्टावरोपोल से उम्मीदें जगीं, रोस्तोव में सूखा, ऑस्ट्रेलिया से अफ्रीका को भारी निर्यात
रूस – दुनिया के सबसे बड़े गेहूं निर्यातक देश रूस में इस वर्ष दो प्रमुख क्षेत्रों की स्थिति एकदम विपरीत दिखाई दे रही है। जहां रोस्तोव क्षेत्र लगातार दूसरे साल सूखे की मार झेल रहा है, वहीं स्टावरोपोल क्षेत्र में अच्छी बारिश और अनुकूल मौसम के चलते रिकॉर्ड फसल की उम्मीद की जा रही है। इससे रूस के कुल गेहूं उत्पादन में स्थिरता बनी रह सकती है।
रूसी कृषि मंत्रालय के अनुमान के अनुसार, देश में इस वर्ष कुल अनाज उत्पादन 13.5 करोड़ टन तक पहुंच सकता है, जिसमें गेहूं का हिस्सा 9 करोड़ टन होगा। स्टावरोपोल में बारिश औसत से 30% ज्यादा रही है और स्थानीय अधिकारियों के अनुसार “क्लाउड सीडिंग” तकनीक (Silver Iodide से वर्षा प्रेरित करना) से बारिश बढ़ाने में मदद मिली है।
उधर, रोस्तोव क्षेत्र में स्थिति चिंताजनक है। यहां की फसल पिछले वर्ष की तुलना में 20% तक घट सकती है, जो 2015 के बाद का सबसे कम स्तर होगा। राज्यपाल ने 10 जिलों में कृषि आपातकाल की घोषणा कर दी है। खेतों में फसल कमजोर है और सूखा लगातार नुकसान पहुंचा रहा है।
ऑस्ट्रेलिया – दूसरी ओर, ऑस्ट्रेलिया ने मई 2025 में कुल 25.7 लाख टन गेहूं (जिसमें ड्यूरम गेहूं भी शामिल है) का निर्यात किया। ये आंकड़े ऑस्ट्रेलियन ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स से प्राप्त हुए हैं। यह पिछले महीने अप्रैल से मामूली कम है, लेकिन मई 2024 की तुलना में काफी अधिक है।
सबसे बड़ा हिस्सा थोक निर्यात (bulk) का रहा, जहां इंडोनेशिया (3.92 लाख टन), थाईलैंड (2.19 लाख टन), और फिलीपींस (1.96 लाख टन) शीर्ष ग्राहक रहे। खास बात यह रही कि अफ्रीकी देशों – जैसे कि केन्या, मोजाम्बिक, दक्षिण अफ्रीका, युगांडा और तंजानिया – को भी बड़ी मात्रा में गेहूं भेजा गया, जिससे यह संकेत मिलता है कि ऑस्ट्रेलिया की आपूर्ति अभी भी विश्व बाजार में मजबूत बनी हुई है।
निष्कर्ष:
रूस में दक्षिणी क्षेत्रों के लिए चुनौतीपूर्ण हालात के बावजूद उत्तरी क्षेत्रों और स्टावरोपोल से उम्मीदें बनी हुई हैं। वहीं ऑस्ट्रेलिया लगातार अपनी वैश्विक उपस्थिति बनाए हुए है। भारत जैसे आयात-निर्यात पर निर्भर बाजारों के लिए यह संकेत है कि वैश्विक आपूर्ति स्थिर बनी रह सकती है – लेकिन क्षेत्रीय संकट और जलवायु परिवर्तन भविष्य के लिए चिंताजनक हैं।