देशभर की प्रमुख मंडियों में चने की कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है। घरेलू बाजार में मांग बढ़ने और आपूर्ति की स्थिति संतुलित रहने से चने की कीमतों में मजबूती देखी जा रही है। वहीं, कबूली चने की कीमतों में भी बड़ी उछाल दर्ज की गई है, जिससे व्यापारियों और किसानों की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
आज के बाजार में देशी चना की कीमतों में 50 से 125 रुपये तक की तेजी दर्ज की गई। दिल्ली की मंडियों में राजस्थान लाइन और मध्य प्रदेश लाइन के चने में 125 रुपये की वृद्धि हुई, जिससे यह क्रमशः 6025-6050 रुपये और 5925-5950 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया। इंदौर में कटवाला और विशाल चना 100 रुपये की बढ़त के साथ क्रमशः 5850-5900 और 5600-5650 रुपये प्रति क्विंटल पर कारोबार कर रहे हैं। वहीं, जयपुर, लातूर, नागपुर, सोलापुर और उदगीर की मंडियों में भी चने की कीमतों में मजबूती देखी गई।
आयातित चने की कीमतों में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। मुंबई, मुंद्रा और कोलकाता में ऑस्ट्रेलियाई चने की कीमतों में 50 से 100 रुपये की बढ़ोतरी हुई है, जबकि मुंबई में तंजानिया चना 100 रुपये बढ़कर 5600 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया। इससे साफ संकेत मिलते हैं कि आयातित चने की मांग भी बनी हुई है।
कबूली चने की कीमतों में जबरदस्त तेजी देखी गई। इंदौर में सभी वैरायटी के कबूली चने में 250 से 350 रुपये की वृद्धि हुई है। 40-42 काउंट कबूली चना 300 रुपये बढ़कर 11,400 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया, जबकि 58-60 काउंट कबूली चना 350 रुपये की उछाल के साथ 8900 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंचा।
मंडी में नई फसल की आवक लगातार बनी हुई है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और कर्नाटक की प्रमुख मंडियों में चने की अच्छी आवक देखी जा रही है। महाराष्ट्र के हिंगनघाट में सबसे अधिक 19,500 बैग की आवक हुई, जबकि कर्नाटक के गदग में 14,322 बैग की आवक दर्ज की गई। कीमतों में बढ़त के बावजूद, खरीद-फरोख्त सामान्य बनी हुई है।
बाजार में तेजी का मुख्य कारण घरेलू और निर्यात मांग में सुधार है। इसके अलावा, चने की सरकारी खरीद और वायदा बाजार के सकारात्मक संकेतों का भी असर देखने को मिल रहा है। अगर आयात नीति में कोई बड़ा बदलाव नहीं होता है, तो आने वाले दिनों में चने की कीमतों में और तेजी देखी जा सकती है।
निष्कर्ष
चना बाजार में लगातार मजबूती बनी हुई है। व्यापारियों और किसानों के लिए यह सकारात्मक संकेत हैं, लेकिन कीमतों की आगे की चाल पर आयात नीति, सरकारी हस्तक्षेप और स्टॉकिस्टों की गतिविधियों का प्रभाव रहेगा। यदि मांग बनी रहती है और आपूर्ति संतुलित रहती है, तो चने की कीमतें आने वाले दिनों में और ऊंची जा सकती हैं।