भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव के बीच सोयाबीन और खाद्य तेल बाजार में जोरदार तेजी देखने को मिली है। कांडला और मुंद्रा जैसे प्रमुख बंदरगाहों पर सुरक्षा कारणों से जहाजों की बर्थिंग सीमित कर दी गई, जिससे खाद्य तेल की आपूर्ति बाधित हुई और बाजार में तेजी आई। व्यापारिक सूत्रों के अनुसार, मुंद्रा पोर्ट पर जहाज अब 15 मई के बाद ही उतरेंगे, जिससे शॉर्ट-टर्म में सप्लाई चेन पर दबाव बना रहेगा। हालाँकि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम की घोषणा के बाद हालात सुधरने की संभावना है, लेकिन जब तक पोर्ट पर संचालन पूरी तरह सामान्य नहीं होता, तब तक कीमतों में मजबूती रह सकती है।
इसी बीच, नाफेड द्वारा खुले बाजार में लगातार की जा रही सोयाबीन बिक्री भी बाजार के लिए एक अहम फैक्टर बनी हुई है। सरकार कम बिड्स को मंज़ूरी नहीं दे रही और ₹4350 प्रति क्विंटल से कम दरों को रिजेक्ट कर रही है। यह नीति फिलहाल बाजार में गिरावट के दबाव को रोकने में मददगार साबित हो रही है। अब तक 5-6 लाख टन से अधिक सोयाबीन टेंडर के जरिए बेचा जा चुका है, जबकि लगभग 19 लाख टन का स्टॉक अभी भी नाफेड के पास मौजूद है, जिसे धीरे-धीरे जारी किया जा रहा है।
दूसरी ओर, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका में सोयाबीन की बुआई तेजी से हो रही है। 4 मई तक अमेरिका में 30% बुआई पूरी हो चुकी है, जो पिछले वर्षों की तुलना में बेहतर है। लुइसियाना, अर्कासस और मिसिसिपी जैसे राज्यों में बुआई 58% से 80% के बीच पूरी हो चुकी है। अंकुरण दर भी 7% पहुंच गई है, जो औसत से ऊपर है। साथ ही, ब्राजील और अर्जेंटीना में सोयाबीन उत्पादन अनुमान क्रमशः 1690 और 500 लाख टन पर स्थिर बने हुए हैं, जिससे वैश्विक आपूर्ति भरपूर बनी हुई है।
इसी के साथ, शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (CBOT) में भी सोयाबीन की कीमतों में हल्की तेजी देखी गई। जुलाई वायदा 5.75 सेंट की बढ़त के साथ 10.45 डॉलर प्रति बुशल तक पहुंच गया, जबकि सोया तेल 1.12 सेंट बढ़कर 48.45 सेंट प्रति पाउंड पर बंद हुआ। हालांकि सोया मील की कीमत में मामूली गिरावट दर्ज की गई।
व्यापारियों की नजर अब यूएस-चीन व्यापार वार्ता पर है, जो स्विट्ज़रलैंड में प्रस्तावित है। उम्मीद है कि इससे दोनों देशों के बीच व्यापार तनाव में कुछ राहत मिलेगी। USDA की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने पिछले सप्ताह 376,700 टन पुरानी फसल और 9,800 टन नई फसल सोयाबीन का निर्यात किया। वहीं कनाडा में सोयाबीन स्टॉक 10.9% बढ़कर 2.4 मिलियन टन हो गया है।
घरेलू बाजार की बात करें तो हालिया भू-राजनीतिक तनावों का असर मंडियों और प्लांट्स के भाव पर भी दिखा। कीर्ति प्लांट पर 12 अप्रैल को ₹4910/क्विंटल का उच्च स्तर दर्ज हुआ था, जो अब ₹4650 तक आ चुका है। अशोकनगर मंडी में भाव ₹100 बढ़कर ₹4350/क्विंटल हो गया है, वहीं कोटा लाइन प्लांट ₹4375 तक पहुंच गया है। महेश एडीबल प्लांट पर अलग-अलग वैरायटीज़ के रेट ₹4700 से ₹4750 के बीच चल रहे हैं। अधिकांश मंडियों में औसत भाव ₹4300 से ₹4450 के बीच हैं।
आगे की स्थिति पूरी तरह से भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थिरता, पोर्ट संचालन की बहाली और अंतरराष्ट्रीय संकेतों पर निर्भर करेगी। यदि वर्तमान अनिश्चितता बनी रहती है, तो बाजार में ₹100-₹150 प्रति क्विंटल की और तेजी देखने को मिल सकती है। लेकिन यदि माहौल शांत होता है और वैश्विक आपूर्ति बनी रहती है, तो बाजार सीमित दायरे में स्थिर रह सकता है। वर्तमान में मांग में कोई खास उछाल नहीं है और नाफेड की सप्लाई भी जारी है, इसलिए MSP ₹4892/क्विंटल तक भाव पहुंचना फिलहाल कठिन प्रतीत होता है।
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