नई दिल्ली के नास्क कॉम्प्लेक्स में 22 सितंबर 2025 को इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (ICAR) और पूसा कृषि (IARI) ने संयुक्त रूप से Maitri 2.0: इंडिया-ब्राज़ील क्रॉस बॉर्डर एग्री-टेक इनक्यूबेटर्स प्रोग्राम की शुरुआत की। पाँच दिवसीय यह कार्यक्रम 26 सितंबर तक चलेगा और इसे भारत-ब्राज़ील के बीच कृषि नवाचार और एग्री-टेक उद्यमिता सहयोग का अहम पड़ाव माना जा रहा है।
बिज़नेस नज़रिए से यह कार्यक्रम खास महत्व रखता है क्योंकि यह सिर्फ रिसर्च तक सीमित नहीं है बल्कि एग्री-टेक स्टार्टअप्स, इनक्यूबेशन सेंटर्स और तकनीकी निवेश को जोड़कर नए व्यापारिक अवसर खोलता है। 2019-20 में आयोजित पहली Maitri पहल की सफलता के बाद इसका दूसरा संस्करण सीधे उन क्षेत्रों पर केंद्रित है जहां स्टार्टअप इकोसिस्टम, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और ग्लोबल मार्केट एक्सेस जैसे व्यावसायिक अवसर मौजूद हैं।
कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर आईसीएआर महानिदेशक व डारे सचिव डॉ. मंगी लाल जाट ने कहा कि Maitri का अर्थ ‘मित्रता’ है और भारत-ब्राज़ील के 77 साल पुराने राजनयिक संबंध अब कृषि-व्यापार और टेक्नोलॉजी में नए आयाम छू रहे हैं। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि आज की चुनौतियाँ — क्लाइमेट चेंज, फूड सिक्योरिटी और सस्टेनेबिलिटी — तभी सुलझेंगी जब दोनों देशों के उद्यमी और इनक्यूबेटर्स मिलकर स्केलेबल समाधान तैयार करेंगे।
ब्राज़ील के भारत स्थित राजदूत केनेथ फेलिक्स नोब्रगा ने इस पहल को दोनों देशों के बीच एग्री-टेक और एग्री-बिज़नेस को नई गति देने वाला कदम बताया। उन्होंने खासकर यह संकेत दिया कि जॉइंट वेंचर्स, इनोवेटिव एग्री-टेक्नोलॉजी और ग्लोबल मार्केट कनेक्टिविटी के जरिए व्यापारी वर्ग को सीधे लाभ मिलेगा।
आईसीएआर-आईएआरआई निदेशक डॉ. च. श्रीनिवास राव ने कहा कि भारत और ब्राज़ील दोनों वैश्विक इनोवेशन इंडेक्स में टॉप-50 में हैं, और एग्री-इनोवेशन दोनों देशों की प्राथमिकता है। उन्होंने यह भी कहा कि रिसर्च आधारित तकनीक और नीति समर्थन ने भारत में एक मज़बूत एग्री-टेक सेक्टर खड़ा किया है और Maitri 2.0 उस क्षमता को वैश्विक स्तर पर ले जाने का माध्यम बनेगा।
बिज़नेस महत्व
-
भारतीय और ब्राज़ीलियाई स्टार्टअप्स को क्रॉस बॉर्डर इन्वेस्टमेंट और मार्केट एक्सेस मिलेगा।
-
एग्री-टेक इनोवेशन सीधे फार्म-टू-मार्केट चैन और प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को लाभ देंगे।
-
जॉइंट रिसर्च और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर से नई बिज़नेस पार्टनरशिप और सप्लाई चेन सहयोग की संभावनाएँ बढ़ेंगी।
भारत-ब्राज़ील के बीच यह साझेदारी सिर्फ कृषि विज्ञान तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि स्टार्टअप्स, निवेशकों और एग्री-बिज़नेस खिलाड़ियों के लिए नए अवसर पैदा करेगी, जिससे आने वाले वर्षों में कृषि-उद्योग को वैश्विक स्तर पर मजबूती मिलेगी।